शुद्ध लेखन के प्रति संपादक
राजेंद्र माथुर की सावधानी
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--सुरेंद्र किशोर--
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अखबार में एक भी गलती न जाए,इसको लेकर
नईदुनिया (इन्दौर) के संपादकगण बहुत ही सावधान
रहते थे।
उसके संपादक राजेंद्र माथुर ने एक बार मुझे बताया
था कि हमारे पाठक भी हमारी खूब निगरानी करते रहते हैं।
एक गलती पर औसतन 13 चिट्ठियां हमें आती हैं पाठकों की।
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मैं दैनिक ‘आज’(पटना) में काम करने के साथ-साथ जिन अन्य अनेक अखबारों व पत्रिकाओें के लिए मैं लिखता था,उनमें नईदुनिया दैनिक अखबार भी था।
राष्ट्रीय स्तर के एक बड़े साहित्यकार ने एक बार इन्दौर से लौटकर दिल्ली में कहा था कि हिन्दी का सबसे अच्छा अखबार इन्दौर से निकलता है।उनका आशय नईदुनिया से था।
(ऐसा राजेंद्र यादव या नामवर सिंह ने कहा था।मैं भूल रहा हूं,इसलिए नाम नहीं लिखा।)
नईदुनिया के संपादक राजेंद्र माथुर ने मुझे 1981 में लिखा कि
‘‘बिहार के हर जिला और तहसील शहर का सही नाम लिखकर आप क्यों न हमें भिजवा दें।
ज्यादा से ज्यादा 400 नाम होंगे,लेकिन हमेशा के लिए मानकीकरण हो जाएगा।’’
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इस पत्र पर यहां किसी टिप्पणी की कोई जरूरत नहीं है।
कम लिखना,अधिक समझना !
जो नहीं जानते ,उन्हें बता दूं कि राजेंद्र माथुर बाद में नवभारत टाइम्स के प्रधान संपादक बने।
हिन्दी पत्रकारिता का वह एक बहुत बड़ा नाम है।
1991 में माथुर साहब कम ही उम्र में हमें छोड़कर चले गए।
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25 अक्ूबर 21
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