शनिवार, 2 अक्तूबर 2021

 गांधी जयंती पर

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महात्मा गांधी के संदर्भ में कुछ बातें 

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--सुरेंद्र किशोर--

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1.-यह बात तब की है जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे।

वहां वे एक स्कूल चलाते थे।

प्रथम आने वाले विद्यार्थी को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजा जाता था--समुदाय के खर्चे पर।

  एक बार गांधी जी का पुत्र प्रथम आ गया।

पर, गांधी ने नहीं भेजा।

कहा कि लोग समझेंगे कि बेईमानी करके गांधी ने अपने पुत्र को भेज दिया। 

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2.-सन 1934 में बिहार के विनाशकारी भूकम्प के राहत कार्यों के लिए मिले चंदे के पैसों मंे गड़बड़ी हुई तो गांधी ने उस पर भारी क्षोभ प्रकट किया था।

धिक्कारते हुए उनसे यह कहा होगा कि अभी तो यह हाल है,तो आजाद भारत को कैसे चलाओगे ?

कहने की जरूरत नहीं कि किस संगठन के लोगों ने गड़बड़ी की थी।

  1977 में मुझे अलग से यह पता चला था कि आजादी से पहले ही उस दल के राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए चंदा 

वसूला गया।

चंदा वसूलने वालों में से एक ने उसमें से कुछ पैसे बचा लिए।

उन पैसों से उन्होंने मध्य पटना में एक भूखंड खरीद लिया।

यह बात मुझे संविधान सभा के सदस्य रहे एक नेता बताई  थी।

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3.- अब आजादी के तत्काल बाद की कहानी सुनिए ।

 बिहार सरकार के एक प्रभावशाली कैबिनेट मंत्री के भ्रष्टाचार की खबर पर गांधी ने उन्हें मंत्री पद से हटा देने की सलाह दी थी।

संभवतः राजेंद्र बाबू ने वह ‘खबर’ गांधी जी तक पहुंचाई थी।

पर, वह सलाह नहीं मानी गई।

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4.-याद रहे कि आजादी मिल जाने के बाद भी गांधी ने अपने किसी परिजन को राजनीति में आगे किया ?

 नहीं।अपने वंश या परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में आने ही नहीं दिया।

ऐसा नहीं कि उनकी संतान योग्य नहीं थी।गांधी के एक पुत्र तो हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादक बने थे।गांधी आज जैसे नेता होते तो उन्हें चाहते तो प्रधान मंत्री भी बनवा सकते थे।

आज के कई नेताओं में गांधी जैसी ताकत होती तो वे अपने बकलोल पुत्र को भी न जाने क्या -क्या बनवा देते।

अब तो सुप्रीमो का वंशज बकलोल,भ्रष्ट,गंजेड़ी-भंगेड़ी जैसा भी होे,वही उनका उत्तराधिकारी बनेगा।बन भी रहा है।

भले वह खुद भी डूबेगा,दल को भी डुबाएगा।

साथ ही, देश को भी पीछे ले जाएगा।

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गांधी जयंती मनाने वाले नेताओं से पूछा जाए तो उनकी ऊपर लिखी बातों पर क्या राय हो सकती है !

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आम तौर पर यही राय होगी कि किस जमाने की बात कर रहे हैं आप ?

यह सब अब चलने वाला है ?

जमाना बदल गया।

अब तो जनता ही चोर हो गई !!

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ईमानदारी का राज कैसे चलेगा ?

आप चलने देंगे, तब न चलेगा !!

आज तो अधिकतर नेताओं की एकमात्र इच्छा यही रहती है कि   देश को लूट-लूट कर अपना व अपने लगुओं-भगुओं के घरों को अपार धनराशि से भर देना है।

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जब तक हमारा वोट बैंक आबाद है, तब तक हमारे ही खानदान के लोग राज करते रहेंगे।

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ऐसे खानदानों की संख्या अब इस देश में बहुत हो चली है।

एम.पी.-विधायक फंड की कमीशनखोरी ने वास्तविक राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं को हाशिए पर डाल दिया है।

यानी,अपवादों को छोड़कर सांसद का बेटा सांसद,विधायक का बेटा विधायक और राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं का काम करेंगे फंड के ठेकेदार गण !

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   गांधी के देश में आजादी के 75 वें वर्ष में देश की राजनीति -सत्ता-नीति का आज कमोबेश यही हाल है।

अपवादों की बात और है !

तो फिर उन 565 राजे-महाराजे ही कौन बुरे थे ?

कम से कम वे ऐसे -ऐसे मजबूत महल तो बनवा देते थे जो कई सौ साल तक खडे़ रहते थे।

अब भी हैं वैसे महल।

आज तो सरकारी मकान व सड़क बना नहीं कि टूटने लगता है।

 यह दौर ही शुकराना,नजराना,हड़काना और कमीशनखोरी का जो है ! 

यह सिर्फ बिहार की बात नहीं है,पूरे देश की कमोबेश यही कहानी है।

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वैसे इस ‘भ्रष्ट युग’ में भी नेताओं,अफसरों तथा अन्य क्षेत्रों के लोगों में से कुछ लोग ईमानदारी से अपने काम में लगे हुए हैं।

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2 अक्तूबर 21 




  

                             


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