कानोंकान
सुरेंद्र किशोर
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रेलवे संपति और यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोई भी खर्च
सस्ता ही पड़ेगा
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ताजा घटनाओं से एक बार फिर एक गंभीर बात सामने आई है।
वह यह कि उपद्रवियों से रेलवे संपत्ति और यात्रियों के जान-माल बचाने के मौजूदा उपाय पर्याप्त नहीं हैं।
रेलवे और यात्रियों की रक्षा के लिए जरूरत के अनुसार कितनी भी अधिक राशि सरकार खर्च कर दे,वह बेकार नहीं जाएगी।
देश में जारी तनावपूर्ण राजनीतिक व गैर राजनीतिक स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि रेलवे पर खतरा बढ़
सकता है।
इस बीच यह अच्छी बात हुई है कि मौजूदा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्थिति की गंभीरता को समझा है।
वे कह रहे है कि ट्रेनों की सुरक्षा के लिए वे कड़े कानून लाएंगे।
रेलवे अधिनियम को मजबूत बनाया जाएगा।
साथ ही, उन्हें आर.पी.एफ.को और कानूनी अधिकार देने होंगे।साथ ही, उनकी संख्या बढ़ानी होगी।
रेलवे की सुरक्षा में लगे सरकारी सेवकों के बीच जारी भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनानी होगी।
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सामान्य बहाली के बाद ‘अग्निपथ’
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गत दो साल से भारतीय सेना में बहाली नहीं हो सकी है।
इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है।
परिस्थितियां जिम्मेदार रहीं।
इस बीच अग्नि पथ योजना के तहत बहाली की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।
यदि अग्नि पथ योजना से पहले ‘सामान्य सेना बहाली’ का एक छोटा दौर गुजर जाता तो अग्नि पथ के खिलाफ इतना हंगामा नहीं होता।
वैसे अग्नि पथ योजना देश की सुरक्षा-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी है।
चीन सहित दुनिया के कई प्रमुख देश सैनिकों की संख्या घटाकर उससे हो रही बचत के पैसों से आधुनिकत्तम हथियारों का संग्रहण कर रहे हैं।अब युद्ध सैनिकों से कम ताकतवर हथियारों से अधिक होंगे।
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राजमार्गों पर गलत पार्किंग
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केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अभिनव प्रयोग करते
रहते हैं।
उनका ताजा प्रयोग न सिर्फ कारगर हो सकता है,बल्कि हजारों लोगों की आय का जरिया भी बन सकता है।
उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर गलत पार्किंग की फोटो भेजने वाले को 500 रुपए का इनाम मिलेगा।
वाहन मालिक पर एक हजार रुपए का जुर्माना होगा।
इन दिनों असंख्य हाथों में स्मार्ट फोन हैं।
उनमें से अधिकतर लोग बेरोजगार हैं।
उनमें से भी अनेक लोग सड़कों पर गलत पार्किंग से रोज -रोज पीड़ित भी होते रहते हंै।
इसलिए लोग फोटो तो भेजेंगे।
पर, इनाम की राशि बढ़ा देनी चाहिए।
कम से कम तीन हजार रुपए इनाम रखिए।
वाहन चालक पर 5000 रुपए का जुर्माना कीजिए।
जब ड्राइविंग लाइसेंस नहीं रहने पर 5 हजार फाइन है और गति की निर्धारित सीमा का उलंघन करने पर 4 हजार फाइन है तो फोटो खींचने का खतरा उठाने पर इतना कम इनाम क्यों ?
फोटो लेने वाले को कम से कम अपने दो बलवान साथियों के साथ ही वाहन के पास जाना चाहिए।
अन्यथा, उधर से हमले का खतरा है।प्रतिरक्षा में लगने वाले उन साथियों को भी तो कुछ इनाम मिल सके,इतनी राशि तय कीजिए।
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बहाली में धांधली के लिए मृत्युदंड ?
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कर्नाटका की एक अदालत ने एक ऐसी टिप्पणी की है जिस ओर देश का ध्यान जाना चाहिए।जिस मुद्दे पर टिप्पणी की है,वह समस्या देशव्यापी है।
कलबुर्गी के सत्र न्यायाधीश ने कहा है कि पुलिस अफसर की बहाली में धांधली की गंभीरता उन अपराधों से भी अधिक गंभीर है जिन अपराधों में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
याद रहे कि कर्नाटका में पुलिस उप निरीक्षक के पद के लिए जिन 545 लोगों का चयन हुआ ,उनमंे से 75 प्रतिशत उम्मीदवारों ने प्रतियोगी परीक्षा में धांधली की।
उस धांधली में एक भाजपा नेत्री की भी संलिप्तता पाई गई।
अदालत ने उस नेत्री की जमानत की अर्जी नामंजूर करते हुए उक्त टिप्पणी की।
कर्नाटका सरकार ने उस परीक्षा को रद कर दिया है।
बेहतर तो यह होता कि ऐसी धांधलियों को लेकर देश की अन्य अदालतें भी ऐसी ही गंभीरता दिखाती और विधायिकाएं इस अपराध के लिए मृत्यु दंड नहीं तो आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करतीं।
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भूली -बिसरी याद
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देश के पूर्व उप प्रधान मंत्री दिवंगत यशवंतराव चव्हाण से अस्सी के दशक में किसी ने पूछा था,
‘‘राजनीति में नहीं आए होते तो क्या बनते ?’’
उन्होंने कहा कि ‘‘तब मैं मराठी साहित्यकार होता।
अच्छा साहित्यकार होता।
लिखने-पढ़ने में मेरी दिलचस्पी शुरू से रही है।
मराठी में अपनी जीवनी लिख रहा हूं।’’
जब उनसे पूछा गया कि मराठी ही क्यों ?
उन्होंने कहा कि ‘‘इसलिए कि मैं मराठी में अच्छी तरह अपने को व्यक्त कर सकता हूं।’’
पूर्व राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद का उदाहरण देते हुए चव्हाण साहब ने कहा कि
‘‘राजेन्द्र बाबू भी अंग्रेजी बहुत अच्छी लिखते थे।
लेकिन उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं हिन्दी में ज्यादा अच्छी तरह लिख सकता हूं।
राजेंद्र बाबू ने अपनी जीवनी हिन्दी में ही लिखी।’’
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और अंत मंे
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नूपुर शर्मा प्रकरण में मुख्य मंत्री नीतीश कुमार की टिप्पणी संतुलित रही।
उन्होंने कहा कि ‘‘ भाजपा ने जब एक्शन ले ही लिया तो विरोध-प्रदर्शन का कोई मतलब नहीं।’’
तथाकथित सेक्युलर दल ,नेता और बुद्धिजीवी भी ऐसे मामलों में इसी तरह का रुख अपनाया करते तो समस्या के समाधान में सुविधा होती।
याद रहे कि किसी भी समस्या के समाधान के लिए अपने देश के संविधान-कानून वगैरह पर्याप्त रूप से सक्षम हैं।
उसका इस्तेमाल संतुलित रूप से और किसी भेदभाव के बिना होना चाहिए।
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प्रभात खबर
पटना
20 जून 22