संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण बंद हो
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नूपुर-नवीन प्रकरण के बाद अब टी.वी.चैनलों पर
लाइव डिबेट के बदले संपादित डिबेट प्रसारित हो
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सुरेंद्र किशोर
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संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण न करके कार्यवाही को पहले संपादित करके ही उसे प्रसारित किया जाना चाहिए।
क्योंकि पीठासीन पदाधिकारियों का यह आदेश अब बेमतलब हो गया है कि
‘‘यह अंश सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाएगा।’’
अरे भई ,इसे तो देश-दुनिया ने पहले ही देख-सुन लिया।
इसे बाद में निकाल कर आप क्या हासिल करेंगे ?
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नूपुर -नवीन प्रकरण के बाद सरकार को चाहिए कि वह हस्तक्षेप करे।
क्योंकि नूपुर -नवीन विवाद के बाद जो दंगे हुए,उसे सरकार को ही तो झेलना पड़ा।आम जन को भी।
अनेक अफसर व कर्मी घायल हुए।संपत्ति नष्ट हुई।
सरकार टी.वी.चैनलों को अब यह कड़ा निदेश दे कि आप डिबेट को संपादित करके ही प्रसारित करें।
यदि चैनल न मानें तो ऐसे मामलों में चैनलों के मालिकों और संपादकों पर भी उन्हीं दफाओं में मुकदमा चलाया जाए।
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एक तो अधिकतर टी.वी.चैनल वाले एक साथ बहुत सारे ‘अतिथियों’ को बुलाकर डिबेट में बैठा देते हैं।
(उनमें से कई कुख्यात हैं।अपने घर के किसी
सदस्य से कह कर देखिए कि उस कुख्यात में से एक को आज यहां बुला रहे हैं।
तो सदस्य यह कह सकता है कि उसे ड्राइंग रूम में नहीं बल्कि बरामदे में ही बैठाइएगा।
उस बेचारे कुख्यात की भी गलती कम ही है।
वह तो अपने खुद,दल के और सुप्रीमो के चाल,चरित्र और चिंतन के अनुसार ही तो टी.वी.पर बोलेगा !!)
उनमें से कई ऐसे हैं जो पूरे डिबेट में कुत्ते की तरह झांव- झांव करते रहते हैं।
या फिर वे दूसरे को बोलने ही नहीं देते।
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क्या कोई विवेकशील व्यक्ति अपने ड्राइंग रूम में ऐसे अशिष्ट अतिथियों को बैठाकर कोई चर्चा कराना चाहेगा ?
कत्तई नहीं।
फिर आपके ड्राइंग रूम में रखे टी.वी.सेट पर ऐसे लोगों का अवतरण क्यों होना चाहिए ?
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14 जून 22
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