बुधवार, 26 जुलाई 2023

 एक अनुमान के अनुसार इस देश में करीब 14 लाख 

करोड़ रुपए का काला धन हर साल पैदा हो रहा है

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     --सुरेंद्र किशोर--

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एक मोटे अनुमान के अनुसार इस देश की केंद्र और राज्य सरकारों के कुल सालाना बजट करीब 70 लाख करोड़ रुपए के होतेे हैं।

   अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़कर सरकारी कामों में कमीशन या घूसखोरी की दर आम तौर पर औसतन 20 प्रतिशत है।

यानी, 14 लाख करोड़ रुपए का काला धन हर साल पैदा हो रहा है।

ये 14 लाख करोड़ रुपए किन -किन लोगों की जेबों में

जाते हैं, जरा आप भी मेरी जानकारी बढ़ाइएगा।

इतने पैसों का कितना उपयोग देशहित में होता है और कितना राष्ट्रद्रोह के काम में ?

इनमें से कितने पैसे हवाला के जरिए या दूसरे उपायों से विदेशों में भेज दिए जाते हैं ?

(इस देश के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री पर यह आरोप है कि उसने छह देशों में डेढ़ लाख करोड़ रुपयों की निजी संपत्ति बनाई है।इ.डी. उसकी जांच कर रही है।)

  हर साल करीब एक लाख लोग भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों में बस रहे हैं।

उन में से कितने लोगों ने इस देश को लूटने के बाद विदेश में बसने का निर्णय किया है ?

भारत में आर्थिक विषमता तेजी से बढ़ रही है।

हमारे संविधान के नीति निदेशक तत्व वाले चैप्टर में यह लिखा गया है कि लोगों के बीच आर्थिक विषमता कम करने की शासन कोशिश करेगा।

आदि ...आदि 

और, कोई बात हो तो बताइए।

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नोट-बगोदर के माले विधायक दिवंगत महेंद्र प्रसाद सिंह वहां के सरकारी अफसरों से घूस लौटवाने का अभियान चलाते रहते थे।वे कभी चुनाव नहीं हारे।

महेंद्र जी जन दबाव से घूस वापस करा भी देते थे जो आम जनता से लिए गए होते थे।

जब वे बिहार विधान सभा में बोलते थे तो सभी पक्षों के लोग उन्हें ध्यान से सुनते थे।

  आज के ‘भ्रष्ट युग’ में भी यदि कोई राजनीतिक संगठन अंचल स्तर से राज्य स्तर तक के भ्रष्ट अफसरों आदि पर जन दबाव डाल कर घूस वापस कराने का सत्याग्रह करे तो वह राजनीतिक दल थोड़े ही दिनों में काफी लोकप्रिय हो जाएगा।पर,समस्या यही है कि आज महेंद्र सिंह जैसा कार्यकर्ता या नेता ढूंढ़ना बहुत मुश्किल काम है।

  याद रहे कि आज घूस के बिना सरकारी दफ्तरों में कहीं कोई काम नहीं हो रहा है,अपवादों की बात और है।

एक तरफ सरकारी पैसों की भारी लूट है और दूसरी तरफ अधिकतर सरकारी स्कूलों और सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। 

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25 जुलाई 23 

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