आश्चर्य नहीं कि एक राजनीतिक गठबंधन का नाम
इस देश के नाम पर करने का तय हुआ
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कांग्रेस में आज भी जारी है (देवकांत)‘‘बरुआ-गिरी’’
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--सुरेंद्र किशोर--
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सन 1976 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरूआ ने नारा गढ़ा था-
‘‘इंदिरा ही इंडिया है और इंडिया ही इंदिरा ।’’
उसके बाद बरुआ जी का नाम चापलूसी का पर्यायवाची बन गया--यानी बरुआ-गिरी।
तब देश में आपातकाल के काले दिन थे।
मौजूदा कांग्रेस ने तो एक गठबंधन का ही नाम इंडिया रखा है।
आपातकाल में तो एक व्यक्ति को देश का पर्यायवाची बना दिया गया था।उससे पहले बांग्ला देश युद्ध के तत्काल बाद दक्षिण भारत के एक कांग्रेसी सांसद ने (गलती से मीडिया ने इसका ‘श्रेय’ अटल बिहारी वाजपेयी को दे दिया था।)संसद में इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा था।
क्या किसी पुरुष प्रधान मंत्री के कार्यकाल में देश युद्ध जीतेगा तो उस प्रधान मंत्री को राम,कृष्ण या शिव कहा जाएगा ?
ऐसे चापलूसों से भरी कांग्रेस पार्टी को सन 1977 के लोक सभा चुनाव में जनता ने सत्ता से बेदखल कर दिया।
पता नहीं,सन 2024 के चुनाव में क्या होगा ?
दरअसल नेहरू-गांधी परिवार की पुरानी प्रवृति रही है कि अपने परिवार को ही देश मान लिया जाए।
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1972 में डी.के. बरुआ बिहार के राज्यपाल थे।
एक दिन मैं कर्पूरी ठाकुर के साथ राज भवन गया।
कर्पूरी जी तो राज्यपाल से मिलने ऊपरी मंजिल पर चले गये।मैं नीचे प्रतीक्षा करने लगा।काफी देर के बाद कर्पूरी जी लौटे।
वे मिलकर अभिभूत थे।
बोले कि बरुआ साहब नेता के साथ- साथ बहुत बड़े बुद्धिजीवी भी हैं।
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बाद के वर्षों में पद पाने व बनाए रखने के लिए बड़़े -बड़े बुद्धिजीवियों को सत्ताधारी नेताओं की चापलूसी करते मैंने देखा है।
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पर,ऐसे लोग कई शीर्ष नेताओं को अंततः डूबो देते हैं।उनके डूबने के बाद वे खुद अपना ‘‘दरबार’’ बदल लेते हैं।
इंदिरा जी के जीवन काल में एक बार एक ने लिखा था कि इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में एक ही पुरुष हैं और बाकी सब महिलाएं हैं।
आज भी कांग्रेस की हालत कोई भिन्न नहीं है।
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19 जुलाई 23
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