देश में जातीय जन गणना का संकल्प,
यानी, नवगठित ‘इंडिया’ की सकारात्मक पहल
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सुरेंद्र किशोर
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नव गठित ‘‘इंडिया’’ ने अपने ‘बंगलुरू संकल्प’ में कहा है कि हम जातीय जन गणना कराएंगे और अल्पसंख्यकांें के खिलाफ घृणा के माहौल का मुकाबला करेंगे।
सवाल है कि सिर्फ जातीय जन गणना करांएगे या उसे प्रकाशित भी करेंगे ?
मनमोहन सिंह सरकार ने तो सन 2011 में जातीय जन गणना भी करवाई थी ,किंतु लगातार मांग के बावजूद उसे कभी प्रकाशित नहीं किया।
खैर,संभवतः ‘‘इंडिया’’ पर नीतीश कुमार-लालू प्रसाद जैसे नेताओं के प्रभाव के कारण ही यह नया दलीय गठबंधन, जातीय जन गणना को तैयार हुआ है।
इससे आरक्षण के दायरे में आने वाले सामाजिक समूह के वोट को कुछ और प्रभावित करने का ‘‘इंडिया’’ को अवसर मिल सकता है।
याद रहे कि बाफोर्स घोटालेबाजों बेशर्म के बचाव और मंडल आरक्षण पर ढुलमुल रवैऐ के कारण ही कांग्रेस के पतन की शुरूआत हुई थी।
उसके बाद कांग्रेस को कभी पूर्ण बहुमत लोक सभा में नहीं मिला।
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पर,‘‘इंडिया’’ के संकल्प में स्वाभाविक रूप से देश की दो भीषण समस्याओं की
कोई चर्चा नहीं है,गंभीर चर्चा कौन कहे।
इसलिए नहीं है क्योंकि अधिकतर तथाकथित सेक्युलर दलों का उसमें निहित स्वार्थ है।
1.-सन 2047 तक हथियारों के बल पर भारत को इस्लामिक देश बना देने के पी.एफ.आई.के संकल्प की कोई चर्चा नवगठित ‘इंडिया’के संकल्प में नहीं है तो लोग सवाल पूछेंगे कि क्यों नहीं है ?
याद रहे कि सन 2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे देश में बाहरी-भीतरी तत्व लगातार भारी हिंसक गतिविधियों में लिप्त हैं।
बड़ी संख्या में उनके स्लीपर सेल सक्रिय हैं।ये सब बातें मीडिया में लगातार आती रहती हैं।
किंतु इस देश का दुर्भाग्य है कि ‘‘60 प्रतिशत वोट कंट्रोंल करने’’ का दावा करने वाले राजनीतिक दलों के लिए यह कोई समस्या ही नहीं है।
बल्कि उनके लिए तो वह वोट की संपत्ति है।ऐसा अभागा देश दुनिया में और कोई भी नहीं है।
2.-भीषण भ्रष्टाचार से ‘‘इंडिया’’ वाले कैसे निपटेंगे,इसकी भी चर्चा नहीं है।
इस पर किसी ने ठीक ही कहा
है कि घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या ?
स्वाभाविक ही है कि भ्रष्टाचार व जेहाद पीड़ित देशवासियों से दोस्ती करने का कोई इरादा ‘‘इंडिया’’ के पास नहीं है।
बड़ी संख्या में घुसपैठियों और जबरन धर्म परिवर्तन
के कारण देश के जिले के जिले और गांव के गांव एक -एक करके हिन्दू बहुल से मुस्लिम बहुल होते जा रहे हैं।बंगाल व केरल की सबेस खराब स्थिति है।
इसके बावजूद ‘‘इंडिया’’ का संकल्प है कि वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और घृणा अभियान का मुकाबला करेगा।
मानो हिंसा और घृणा का लक्ष्य एक ही ओर है।
करना ही है तो दोनों तरफ की हिंसा व घृणा का मुकाबला करो।उससे भाजपा कमजोर होगी।
किंतु ‘‘इंडिया’’में शामिल दलों के इस पर लगातार एकतरफा रवैये,खास कर चुप्पी या समर्थन से भाजपा मजबूत होती जा रही है और आगे भी होगी।उसके मजबूत होते जाने का लक्षण यह है कि अधिकतर दल बदल का लाभ भाजपा को ही मिल रहा है।मौसमी पक्षी यानी दल बदलू हवा का रुख अच्छी तरह पहचानते हैं।
सन 2014 के लोक सभा चुनाव में कंांग्रेस की भारी हार के बाद ए.के. एंटोनी कमेटी ने पार्टी से कहा था कि जनता को लगा कि कांग्रेस, अल्पसंख्यकों की ओर झुकी हुई है,इसलिए हम चुनाव हारे।
पर,कांग्रेस नेतृत्व ने अपना रवैया अब भी नहीं बदला।अब तो उसका इस मामले में और भी बुरा हाल है।ऐसा न हो कि उसका खामियाजा ‘‘इंडिया’’ में शामिल अन्य दों को भी भुगतना पड़े।सामाजिक समीकरण ही यदि सब कुछ होता तो गत साल आजम गढ़ व रामपुर लोक सभा उप चुनाव सपा नहीं हारती।
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हिंसंा और जेहाद की सबसे बड़ी ताकत पी.एफ.आई.-एस.डी.पी.आई.के समर्थक मतदाताओं की मदद से हीे तो कांग्रेस ने हाल में कर्नाटका विधान सभा चुनाव जीता है।
उस उपकार का बदला देना ही होगा अन्यथा आगे के चुनावों में ‘‘इंडिया’’ को दिक्कत होगी।
उधर इंडिया से जुड़ी ममता बनर्जी और उनकी सरकार की मदद से रोज ही सैकड़ों बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए इस देश में नाजायज तरीके से प्रवेश कर पूरे देश में फैल रहे हैं जिनमें से अनेक जेहाद के लश्कर भी बन रहे हैं।
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दरअसल लगता है कि इन दो क्षेत्रों को यानी भ्रष्टाचार व जेहाद को‘‘इंडिया’’ ने जाने-अनजाने ‘‘भारत’’ यानी भारतीय जनता पार्टी के लिए खुला छोड़ दिया है।
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20 जुलाई 23
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