इस देश में निजी टी.वी. चैनलों पर हो रहे वाद-विवाद का स्तर अधिक ऊंचा है या संसद-विधान मंडलों के वाद-विवाद का स्तर अधिक ऊंचा है ?
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ऐसे डिबेट्स से हमारी नयी पीढ़ी कैसी शिक्षा ,संस्कृति और जानकारियां हासिल कर रही हैं ?
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इससे नयी पीढ़ी के दिल ओ दिमाग में लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति सकारात्मक धारणा बन रही है या नकारात्मक ?
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--सुरेंद्र किशोर
25 जुलाई 23
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