इमरजेंसी मंे ‘शोले ग्राम’ की पहाड़ी पर हमने जार्ज
फर्नांडिस के साथ एक खास तरह की ट्रेंनिंग ली थी।
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सुरेंद्र किशोर
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सन 1975 में रिलीज अभूतपूर्व ‘शोले’ फिल्म की अब भी जब- तब मीडिया में चर्चा होती रहती है।मैंने भी न जाने कितनी बार उसे देखा है !!
जब भी चर्चा होती है,मुझे वह पहाड़ी याद आ जाती है।
बंगलोर (तब यही नाम था।) से करीब 50 किलोमीटर दूर शोले के फिल्मांकन स्थल वाली पहाड़ी।--अब तो उस इलाके को लेते हुए रामनगर जिला भी 2007 में बन गया।
पहले तो बंगलोर ग्रामीण जिले में शोले के ठाकुर साहब की हवेली !!!! ? थी।
आपातकाल में जार्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में हमने वहां एक खास तरह की ट्रेनिंग ली थी।
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मैं तब जे.एच.पटेल और लाड़ली निगम के साथ बंगलोर के एक होटल में टिका हुआ था।कई दिन वहां रहे।
तीनों के लिए डबल बेड वाले एक ही कमरे में प्रबंध था।संभवतः एम.जी.रोड पर।
हम लोग दिन भर सिनेमा देखते थे और रात में उस पहाड़ी पर जाकर ट्रेनिंग लेते थे।
जार्ज फर्नांडिस मुझे महत्व देते थे।
वे अपने साथ कार की पिछली सीट पर बैठाते थे।
बीच में बैठती थी--नन्दना रेड्डी-मशहूर अभिनेत्री स्नेहलता रेड्डी की बेटी।
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वातानुकूलित सिनेमा हाॅल से बाहर निकलने पर बाहर का मौसम अधिक सुहाना लगता था।
सुनते हैं कि अब बंगलुरू में भी वायु प्रदूषण का प्रकोप छा गया है।
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जे.एच.पटेल बाद में कर्नाटका के मुख्य मंत्री बने।
लाड़ली निगम राज्य सभा के सदस्य बने।
मुझे जाननेवाले कहते हैं कि आपको तो किसी सरकारी कमेटी के मेम्बर लायक भी नहीं समझा गया।
मैं कहता हूं कि यही सच है।
मैं उस लायक कभी नहीं रहा।
उस लायक बनना पड़ता है भई !
वैसे कोई पद मिलता तो अच्छा ही रहता।
यदि नहीं मिला तो उससे भी अच्छा है।
संतोषम् परम सुखम्।
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रहिमन वे नर मर चुके ,जो कहुं मांगन जाहिं
उनते पहले वे मरे ,जिन मुख निकसत नाहिं।
मुझे इस बात की चिंता रहती थी कि ‘‘उनते पहले वे न मरें।’’
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इमरजेंसी की उस बंगलोर यात्रा में मुझे एक बात बुरी लगती थी।
मेेरे लिए कल्पनातीत थी।
मेरा भोला-भाला दिल-ओ-दिमाग तब तक यह कल्पना भी नहीं करता था कि देश के लिए जान देने पर तैयार रहने वाले नेता लोग शराब भी पी सकते हैं।
उस होटल में हम तीन के अलावा हर दिन एक
मशहूर मजदूर नेता आ जाते थे।
तीनों जमकर शराब पीते थे।मैं टुकुर -टुकुर देखता रहता था।
चिंतन करता था।चिंता होती थी।
लोहिया तो नहीं पीते थे।
कर्पूरी ठाकुर तो नहीं पीते थे।
पंडित रामानंद तिवारी तो ऐसा सोच भी नहीं सकते थे।
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खैर,उम्र बढ़ने के साथ ही मुझे बहुत सारे ‘ज्ञान’ प्राप्त होने लगे।
सब कुछ लिख दूं तो आपका मगज फट जाएगा और मैं जेल में रहूंगा।
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16 अक्तूबर 23
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