देवरिया सामूहिक नर संहार कांड के लिए दोषी 15 अफसरों को
योगी आदित्यनाथ सरकार ने निलंबित कर दिया
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पिछले दशकों में नीतीश सरकार के अच्छे कामों को भी समय -समय पर
कई बार केंद्र व कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां लागू किया।
बिहार सरकार को भी चाहिए कि वह योगी राज के ऐसे कड़े कदम को अपने राज्य में भी दुहराएं और गावों में शांति कायम रखने में मदद करे।
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उत्तर प्रदेश की तरह ही बिहार में भी पुलिस और राजस्व महकमे मंे भारी भ्रष्टाचार है।
जनता का कोई भी काम पैसे के बिना नहीं होता।
यदि इस बात में राज्य स्तर के हुक्मरानों को कोई शक हो तो वे नमूना के तौर पर कुछ कार्यालयों की ‘खुफिया’ जांच करवा लें।
इस भ्रष्टाचार के कारण न जाने कितने निर्दोष व कमजोर लोग बिहार में भी रोज-ब-रोज पीड़ित हो रहे हैं।
हिंसा होती है।
मुकदमबाजी में गरीब लोगों को भी नाहक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रुद्रपुर क्षेत्र में जमीन को लेकर दो पक्षांे में हाल में खूनी संघर्ष हुआ जिसमें छह लोगों की जानें चली गयीं।
वहां के संबंधित उप जिलाधिकारी और पुलिस क्षेत्राधिकारी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होते तो छह जानें नहीं जातीं।
यू.पी.सरकार ने उस घटना को लेकर उप जिलाधिकारी व क्षेत्रीय पुलिस पदाधिकारी सहित 15 भ्रष्ट व कर्तव्यच्युत सरकारी कर्मियों को निलंबित कर दिया है।उम्मीद है कि देर-सबेर वे सेवा से बखास्त भी होंगे।
ऐसे मामले देखकर केंद्र सरकार को चाहिए कि वे ऐसे दोषी अफसरों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कराने के लिए कानून बनाए।
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बिहार सरकार को भी चाहिए कि वह भी जमीन विवाद के मामलों में भ्रष्टाचरण और काहिली करने वाले अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ विशेष अभियान चला कर सख्त कार्रवाई करे।
इससे सत्ताधारी पार्टी को अगले चुनाव में पूरा लाभ मिलेगा।
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भ्रष्ट नेता,अफसर व सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ जहां भी जो भी सरकार सख्त कार्रवाई करती है,उससे वोट बैंक के दायरे से बाहर वाली आम जनता बहुत खुश होती है।
चाहे कोई जितना भी ‘‘बदले की भावना’’ वाला राग अलापे।
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सुरेंद्र किशोर
6 अक्तूबर 23
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