मिलावट खोरी के खिलाफ देश भर में विशेष अभियान जरूरी
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सुरेंद्र किशोर
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मेरी पत्नी हाल में तीर्थ यात्रा पर गयी थीं।
उज्जैन,
सोमनाथ,
द्वारका,
शिरडी,
नासिक और
वाराणसी की यात्रा थी।
यात्रा का आयोजन इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म काॅरपोरेशन लिमिटेड ने किया था।
आई.आर.सी.टी.सी.का प्रबंध सराहनीय रहा।
कोई असुविधा नहीं।
पर,विभिन्न तीर्थ स्थलों में उपलब्ध मिठाइयों की गुणवत्ता पर मुझे संदेह हुआ है।
मैं समझता था कि सिर्फ बिहार में ही क्वालिटी कंट्रोल करने वाला सरकारी तंत्र भ्रष्ट तथा निकम्मा है।
पर,यह समस्या तो लगभग देशव्यापी है।
पत्नी ने मुझे यह भी बताया कि महाराष्ट्र की सड़कों की अपेक्षा बिहार की सड़कें बेहतर हैं।
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बड़ बोलापन हो जाएगा ,फिर भी कह ही देता हूं।
जीभ से गले तक का मेरा स्थान प्रयोगशाला की तरह है।
मुंह में डालते ही आम तौर पर मुझे लग जाता है कि पदार्थ शुद्ध है या नहीं।
मुंह का कौर जब शरीर में टहलते हुए आगे जाता है तो एक बार फिर उसकी ‘जांच’ हो जाती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मैं शुद्ध चीजें खा-खाकर
गांव में बड़ा हुआ हूं।
मैं हरित क्रांति से पहले के छोटे दाने वाले गेहूं की स्वादिष्ट रोटी भी खा चुका हूं
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मैं पटना की सिर्फ एक ही मिठाई खाता हूं।
बार -बार उस मिठाई व बिक्री के स्थान का नाम बताना अच्छा नहीं लगता।
पर,संकेत दे देता हूं।
उस लड्डू में लापारवाही से छूट गए इलाइची के छिलके नहीं होते तो मुझे और अच्छा लगता।
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केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर मिलावटी खाद्य व भोज्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए अन्यथा कैंसर मरीजों के इलाज पर हो रहा खर्च बढ़ता जाएगा।
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1.-बिक्रेता गण सब्जियों की ताजगी बरकरार रखने अथवा उनके परिरक्षण के लिए उन्हें कीटनाशकों में डूबोते हैं।
तेलों और मिठाइयों में वर्जित पदार्थों की मिलावट की जाती है।
2.-सब्जियों और दूसरे खाद्य पदार्थ को धोना फायदेमंद है।लेकिन पकाने से विषैले अवशेष बिरले ही खत्म होते हैं।निगले जाने के बाद छोटी आंत कीटनाशकों को सोख लेती हैं।
3.-शरीर भर में फैले बसायुक्त उत्तक इन कीटनाशकों को जमा कर लेते हैं।इनसे दिल,दिमाग,गुर्दे और जिगर सरीखे अहम अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।
--इंडिया टूडे हिंदी-15 जून, 1989
(आज तो हालात और भी बिगड़ चुके हैं।
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कई साल पहले भारत की संसद में यह कहा गया कि अमेरिका की अपेक्षा हमारे देश में तैयार हो रहे कोल्ड ड्रिंक में
रासायनिक कीटनाशक दवाओं का प्रतिशत अधिक है।
इस पर केंद्र सरकार ने कह दिया कि यहां कुछ अधिक की अनुमति है।
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यह तब की बात है जब प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।पटना हवाई अड्डे पर जो बोतलबंद पानी उन्हें परोसा जाने वाला था,वह अशुद्ध पाया गया था।ऐसी ही घटना मनमोहन सिंह के साथ कानपुर में हुई थी जब वे प्रधान मंत्री के रूप में वहां गए थे।
यानी, प्रधान मंत्री तक मिलावट की पहुंच है।
वे इसलिए बच पा रहे हैं क्योंकि उन्हें परोसने से पहले उसकी जांच का प्रावधान है।
एक खबर के अनुसार, इस देश में बिक रहे 85 प्रतिशत दूध मिलावटी है।जितने दूध का उत्पादन नहीं है,उससे अधिक की आपूत्र्ति हो रही है।
सवाल है कि इस देश में अन्य कौन सा खाद्य व भोज्य पदार्थ कितना शुद्ध है ?
यह जानलेवा समस्या बहुत पुरानी है।बढ़ती जा रही है।
विभिन्न सरकारें लोक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए क्या -क्या करती हंै ? कितने दोषियों को हर साल सजा हो पाती है ?
राज्यों में कितनी प्रयोगशालाएं हैं ?
मिलावट का यह कारोबार जारी रहा तो कुछ दशकों के बाद हमारे यहां कितने स्वस्थ व कितने अपंग बच्चे पैदा होंगे ?
पीढ़ियों के साथ इस खिलवाड़ को आप क्या कहेंगे ?
क्या सबके मूल मंे सरकारी भष्टाचार नहीं है ?
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21 अक्तूबर 23
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