टैक्स चोरों के खिलाफ गुस्सा जरूरी
भरसक ईमानदार लोगों को ही वोट दें
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--सुरेंद्र किशोर--
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हाल में मैंने अपनी कुछ जमीन बेची।
पूरा पैसा ‘व्हाइट’ में लिया।
उस पर पूरा आयकर दिया।
अपने रोज ब रोज के खर्चे के लिए बेचना जरूरी था।
आगे भी जमीन बेचनी है।
उस पर भी पूरा टैक्स दूंगा।
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यदि हम टैक्स नहीं देंगे तो इस देश की केंद्र व राज्य सरकारें विकास -कल्याण के कार्य कैसे करंेगी ?
साथ ही,इस देश पर मंड़राते आंतरिक और बाह्य खतरांे से देश को बचाने के लिए अधिकाधिक सेना-पुलिस-हथियारों का इंतजाम कैसे सरकार करेगी ?
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आप जिस किसी पेशे में हों,अफसर हो,नेता हों या पत्रकार हांे,आप निजी जीवन ईमानदारी से नहीं बिताते तो आपको किसी को उपदेश देने का भी कोई नैतिक हक नहीं है।आप ईमानदार सरकार के हकदार नहीं हैं।
वैसे भी उपदेश दीजिएगा तो लोग हंसेंगे।
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पर उपदेश कुशल बहुतेरे
जे आचरहिं ते नर न घनेरे
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मैंने यह सब इसलिए लिखा क्योंकि ऐसा करके भी हम अपना शांतिपूर्वक संतोषप्रद जीवन बिता सकते हैं।
यानी टैक्स चोरी जरूरी नहीं।
लाखों-करोड़ों-अरबों रुपए आपको शांति नहीं देंगे।
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युद्धरत इजरायल से भी आज कुछ सीखने की जरूरत है।
आज के दैनिक भास्कर ने खबर दी है कि
‘‘दुनिया भर में फैले इजराइली जंग के लिए गाजे -बाजे के साथ स्वदेश लौट रहे।’’
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हाल में एक पाक जेहादी ने सार्वजनिक रूप से यह धमकी दी है कि जो काम हमास ने इजरायल में किया,वही काम हम भारत में करेंगे।
यानी खतरा सामने है।
भीतरी खतरे भी हैं।हथियारबंद जेहादी भारत में सक्रिय हैं।
चीन से खतरे के बारे में आजादी के बाद ही नेहरू सरकार को कई नेताओं ने लगातार आगाह किया था।
पर,उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।
तब की सरकार की यह नीति भी थी कि सीमा पर बाड़ लगाने से दुनिया में भारत की छवि खराब होगी।
यह बात कई साल पहले टी.वी.पर नेहरू युग के एक आई एफ.एस. अफसर ने, जो पूर्व विदेश सचिव भी थे, कह भी दी थी।उस दिन उस टी.वी.कार्यक्रम में संजय निरूपम भी थे।
उस पर निरूपम ने क्या कहा,वह मैं यहां नहीं कहूंगा ।
क्योंकि तब हमारे मित्र निरूपम शिव सेना में थे।
चेतावनी को अनसुना करने का खामियाजा 1962 में हमें भुगतना पड़ा।
आज भी चेतावनी नहीं सुनोगे तो इजरायल यहां भी दुहरा सकता है।
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जिन देशों पर खतरे रहते हैं ,वहां अनिवार्य सैनिक सेवा का प्रावधान है।
वे देश हैं-
रुस
उत्तरी कोरिया
दक्षिणी कोरिया
इजरायल
ब्राजिल
इरान
स्वीडन
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भारत में भी अनिवार्य सैनिक सेवा का प्रावधान होना चाहिए।
ऐसे प्रावधान का इस देश में भारी विरोध होगा।
तब कम से कम हम वैसे आंतरिक विरोधियों
को पहचान तो जाएंगे।
जिनकी उम्र सैनिक सेवा की नहीं है,वे ईमानदारी से टैक्स दें।
और जात, पांत,धर्म आदि से ऊपर उठकर ईमानदार लोगों को ही वोट देकर अच्छी सरकारें चुनें।
अन्यथा, यह देश इस रूप में अधिक दिनों तक नहीं बच सकेगा।
क्योंकि मध्य युग की पुनरावृति करने की कोशिश करने वाली शक्तियां आज इस देश में जितनी ताकतवर हो चुकी हैं ,उतनी पहले कभी नहीं थीं।
ताकतवर इसलिए भी हैं क्योंकि वोट लोलुप नेताओं का उन्हें पूरा समर्थन हासिल है।
वे नेता कभी उनके देश विरोधी गतिविधियों के खिलाफ बयान तक नहीं देते।बल्कि उनका बचाव करते हैं।
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12 अक्तूबर 23
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