बुधवार, 4 अक्तूबर 2023

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1898 से 1990 तक मेरे परिवार की 

जनसंख्या में सिर्फ एक का इजाफा हुआ

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मेरे पिता का जन्म सन 1898 में हुआ।

हम आठ भाई -बहन हुए।

अब सन 1990 मंेे आ जाइए।

हम तीनों भाइयों की तीन-तीन संतान।

यानी कुल नौ।

यानी, करीब सौ साल में सिर्फ एक अधिक।

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बाबू जी के जीवन काल में परिवार में अधिक

‘आबादी’ की जरूरत थी।

खेती-बारी आदि -आदि की देखभाल।

हमारी पीढ़ी में यह सोच रही कि संतान कम रहे 

तो उन्हें बेहतर ढंग से शिक्षित करना आसान होगा।

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उधर खेती आधी बिक गयी।

हालांकि जो आधी रह गयी,वह पूरी से इस बीच कई गुणा अधिक कीमती हो गई है।

नीतीश सरकार के कार्यकाल में हुए हमारे ग्रामीण इलाके के अभूतपूर्व विकास के कारण जमीन की कीमत बढ़ी है।आवागमन आसान हुआ है।

अब उस जमीन के ‘‘भैल्यू एडिशन’’ के लिए वहां रह कर 

काम करने के लिए सिर्फ मैं ही ‘खाली’ हूं।

करूंगा।

यदि नीतीश कुमार की सरकार कानून-व्यवस्था बेहतर बना दें तो और सुविधा होगी।

वहीं से लिखा-पढ़ी होगी।

आज सवांग यानी परिजन की कमी महसूस होना स्वाभाविक है।

बाबू जी सीमित परिवार के खिलाफ थे।

अब लग रहा है कि वे सही थे।

सीमित में से भी कई सवांग रांची ,हैदराबाद और दिल्ली में ‘बथनिया’ गए।

उधर गांव का बथान यानी दालान निर्जन हो गया। 

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सुरेंद्र किशोर

3 अक्तूबर 23

  



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