क्या शुरू हो गया
‘‘सभ्यताओं का संघर्ष’’ ?!!
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सुरेंद्र किशोर
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नब्बे के दशक में अमरीकी राजनीतिक वैज्ञानिक सेम्युएल
पी. हंटिग्टन ने लिखा था कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अब देशों के बीच नहीं, बल्कि सभ्यताओं के बीच संघर्ष होगा।
उस संघर्ष में चीन इस्लामिक देशों के साथ रहेगा।
(इजरायल बनाम हमास युद्ध में चीन किधर है,देख ही लीजिए !)
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हंटिंग्टन की स्थापना के सामने आने के तत्काल बाद भारत के बहुत सारे सेक्युलर नेताओं व प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ने हंटिग्टन की सख्त आलोचना की थी।
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पर, आज दुनिया के कई देशों में क्या हो रहा है ?
हाल में ब्रिटेन,फ्रांस आदि में क्या-क्या हुआ था ?
सूचनाओं के विस्फोट के इस युग में कुछ भी छिपा नहीं रहता है।
आपने उन संघर्षों के चरित्र पर गौर किया है ?
हमास से लेकर भारत के पी.एफ.आई. तक के कारनामों पर गौर करें।
हमास के पक्ष में दुनिया के अनेक देशों में,जिसमें भारत के कुछ विश्व विद्यालय शामिल हैं, बड़े -बड़े प्रदर्शन हुए।
पाक के एक जेहादी ने कहा है कि हम भारत के साथ भी वही करेंगे जो हमास, इजरायल के साथ कर रहा है।
क्या यह सब सभ्यताओं का संघर्ष नहीं है ?
भारतीय टी.वी.चैनलों पर और अखबारों के पन्नों पर जितने लोग जेहादी हमास के पक्ष में ‘बोल’ रहे हैं,उतने शायद मध्य युग में भी भारत में नहीं थे।
ध्यान से देख लीजिए कि कौन किधर से गेंदबाजी कर रहा है !
तथाकथित ‘सेक्युलर’ तत्वों की लीपापोती के बावजूद भारत में भी आज क्या-क्या हो रहा है ?
आगे पूरी दुनिया में क्या -क्या होने वाला है ?
ईश्वर करे दुनिया में शांति रहे।
पर,वह इस बात पर निर्भर करेगा कि इजरायल-हमास युद्ध आगे कौन सा मोड़ लेता है।
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इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने के बदले हमारे देश के अनेक लोग कब तक शुतुरमुर्ग बने रहेंगे ?
कब तक वे कवर फायर करते रहेंगे ?
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11 अक्तूबर 23
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