गुरुवार, 8 अगस्त 2024

 बिहार में डायल-112 पुलिस 

इमर्जेंसी सेवा से सकारात्मक 

फर्क आ रहा है

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सुरेंद्र किशोर

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बिना नजराना-शुकराना के पुलिस

तत्क्षण पीड़ित की सहायता में पहुंच जाए तो

इसे क्या कहेंगे ?

असंभव सी लगने जैसी इस बात को

बिहार जैसे लगभग अराजक राज्य में 

मिनी क्रांति ही तो कहेंगे।

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पटना में तो यह कमाल घटित हो रहा है।

पिछले दिनोें मैंने देखा कि फुलवारीशरीफ थाना क्षेत्र 

के एक पीड़ित व्यक्ति को डायल -112 पुलिस इमर्जेंसी सेवा ने भारी राहत दी।

आज के दैनिक प्रभात खबर में पटना कोतवाली इलाके की ऐसी ही एक खबर छपी है।

पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता कासिम युसुफ को डायल --112 सेवा ने तत्काल मदद पहुंचाई।वे सपेरों की दुष्टता और मुद्रामोचन से परेशान थे।

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गत साल दिसंबर में बिहार पुलिस के एक बड़े अफसर ने 

मीडिया को बताया था कि डायल-112 सेवा अगले साल यानी 2024 में राज्य के गांवों में भी उपलब्ध हो जाएगी।

मुझे पता नहीं कि उपलब्ध हुई या नहीं।

यदि हो जाए तब तो उसे ‘‘मिनी राम राज्य’’ ही कहेंगे।

यदि गांवों के कमजोर व पीड़ित लोगों को यह भरोसा हो जाए कि 112 पर डायल कर देने से ही पुलिस (मुफ्त में) उसकी मदद में तुरंत पहुंच जाएगी तब तो उससे ग्रामीण जीवन पर काफी फर्क पड़ेगा।

गांवों से पलायन रुकेगा।

लोग निर्भीक होकर अपने गांवों में ही छोटे-मोटे रोजगार करके रोजी-रोटी कमा लेंगे। 

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8 अगस्त 24

 


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