हिंसा-प्रतिहिंसा से पीड़ित ब्रिटेन
हिंसा किसी के हित में नहीं
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सुरेंद्र किशोर
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ब्रिटेन में पहले प्रवासियों,घुसपैठियों और शरणार्थियों की ओर से हिंसा हुई।
ताजा हिंसा, मूल निवासियों की ओर हुई है।
हालांकि ताजा हिंसा एक फेक न्यूज के चलते हुई।
किंतु वैसे भी वहां बारुद बिछी हुई है।पता नहीं कब क्या हो जाये !
शांतिप्रिय लोग शांति की उम्मीद जरूर कर रहे हैं।
पर, शांति आएगी या नहीं,आएगी तो कब आएगी, वह अब अनिश्चित सा हो गया है।
समान कारणों से भारत में भी कमोबेश वैसी ही स्थिति तैयार हो रही है।यहां की भी समस्या गंभीर है।
भारत सरकार तथा प्रतिपक्ष को चाहिए कि वे ब्रिटेन की घटनाओं से सीख लेकर भारत में स्थिति को बिगड़ने से रोकें।
इसी में सबकी भलाई है।
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आज ब्रिटेन में जो कुछ हो रहा है,वह वहां के कुछ नेताओं,दलों और सरकारों की गलत व अदूरदर्शी नीतियों के कारण हो रहा है।
भारत के भी अधिकतर नेतागण ऐसे मामलों में अदूरदर्शी ही साबित हुए हैं।
सन 1947 में जब ब्रिटिशर्स भारत छोड़ रहे थे तो वहां के पूर्व प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि भारत के नेतागण आजाद भारत का संभाल नहीं सकेंगे।
बदली हुई परिस्थिति में चर्चिल परलोेक में अब सोच रहे होंगे कि मैं तो दूसरे देश के बारे में यह सब कह रहा था, पर, अब तो हमारे ही देश के कई नेतागण हमारे गौरवशाली देश को संभाल नहीं पा रहे हैं।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधान मंत्री सुनक ने इस गंभीर (व ब्रिटिश निर्मित) समस्या के समाधान के लिए गंभीर कोशिश की थी।
पर निहितस्वार्थी तत्वों ने उन्हें फिर से सत्ता में नहीं आने दिया।
समान कारणों से देशी-विदेशी शक्तियों द्वारा भारत की सत्ताधारी जमात की सीटें हाल के लोक सभा चुनाव में कम करा दी गईं।
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4 अगस्त 24
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