इस देश में आत्म रक्षा दल और स्वयंसेवी
जमात की जरूरत इसलिए भी है
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सुरेंद्र किशोर
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इन दिनों रेलवे लाइनों पर छोटे -बड़े पत्थर रख कर
या अन्य तरह के अवरोधक खड़ा करके टे्रन दुर्घटनाएं कराने के काम में जेहादी तत्व बड़े पैमाने पर लगे हुए हैं।
पाकिस्तान परस्त देसी-विदेशी इस्लामिक जेहादी इस तरीके से आए दिन रेल गाड़ियां उलट रहे हैं।लोग मर रहे हैं,घायल हो रहे हैं।उन जेहादियों के लिए इस बात का कोई महत्व नहीं है कि उस ट्रेन में भाजपाई बैठे हैं या उनसे सहानुभति रखने वाले वोट लोलुप नेता या उनके परिजन।
इस देश में रेलवे लाइन की कुल लंबाई लगभग सवा लाख किलोमीटर से भी अधिक है।
इतनी लंबी रेलवे लाइन की रखवाली करने के काम में कितने अधिक रेलवे स्टाफ व सुरक्षाकर्मियों की जरूरत होगी ?
क्या उतने अधिक स्टाफ कोई सरकार बहाल कर सकती है ?
नहीं।
जब भी बाढ़,भूकम्प,तूफान आदि की समस्या आती है तो बड़े पैमाने पर स्वयंसेवी दल अपने सरंजाम के साथ सक्रिय हो जाते हैं।
पर,जिस अनुपात में रेलवे लाइनों पर जेहादियों से खतरा उपस्थित हो गया है और जितनी बड़ी संख्या में दुघर्टनाएं कराई जा रही हंै,वैसे में संगठित आत्म रक्षा दलों और स्वयं सेवी जमातों की जरूरत होगी।उन्हें अपने अपने इलाकों में रेल लाइनों की रखवाली का भार दिया जा सकता है।
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देसी-विदेशी जेहादी गण पूरी दुनिया में अब काफी जल्दीबाजी में हैं, न सिर्फ भारत में बल्कि यूरोप और इजरायल में भी।
(विश्वास न हो तो गुगल पर यूरोप के अखबार पढ़ लीजिए।)
भारत में सक्रिय प्रतिबंधित संगठन पी.एफ.आई.ने तो सन 2047 तक हथियारों के बल पर
भारत को इस्लामिक देश बना देने का लक्ष्य निर्धारित कर ही दिया है।
इस विपत्ति के क्षण में भी भारत पहले की ही तरह विभाजित है मतलब मध्य युग और ब्रिटिश काल की तरह ही।
इस देश के कुछ राजनीतिक और गैर राजनीतिक तत्वों को लगता है कि वे बांग्ला देश की तरह ही यहां भी तख्ता उलटवा कर अपने मुकदमों से बरी हो जाएंगे और फिर से गद्दी भी पा लेंगे।
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जो लोग यह कह रहे हैं कि यहां के मुसलमान, भाजपा-संघ के कारण परेशान हैं तो फिर ब्रिटेन,जर्मनी और फ्रांस में कौन सा भाजपा-संघ है ?
इजरायल में इस तरह की क्या समस्या है ?
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यानी कुल मिलाकर स्थिति यह है कि हमें समय से पहले चेत जाने की जरूरत है।
इस बीच यह अच्छी बात है कि प्रतिबंधित जेहादी संगठन
पी.एफ.आई.ने कहा है कि यदि भारत के 10 प्रतिशत मुसलमान भी हमारा साथ दे दें तो हम जल्द ही भारत में इस्लामिक शासन ला देंगे।
यानी दस प्रतिशत भी अभी उनके साथ नहीं हैं।किंतु रेल गाड़ियां उलटने या इस तरह की हिंसक कार्रवाईयों के लिए तो 9 प्रतिशत भी काफी साबित होंगे।
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30 जनवरी 1985 को बिहार विधान सभा में कर्पूरी ठाकुर ने कहा था कि ‘‘बूथ लुटेरों और जान लेने की कोशिश करने वालों का मुकाबला करने के लिए हथियार उठाना पड़े तो भी वह गलत नहीं होगा।कानूनन जायज है।
इसलिए आम्र्स लाइसेंस का प्रावधान बिहार सरकार खत्म कर दे । इस बात की छूट दे दे कि जिनके पास पैसे हों वे आग्नेयास्त्र खरीद लें।’’
आज जब कुछ लोग हथियारों के बल पर इस पूरे देश पर कब्जा करने के लिए सक्रिय है तो देशभक्त सरकार व राष्ट्रभक्त लोगों को क्या-क्या करना चाहिए ?
इस समस्या की चिंता करने वालों को गालियां देनी चाहिए ?
उनकी मंशा पर शक करना चाहिए ?
शुतुरमुर्ग की भूमिका निभानी चाहिए ?
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30 अगस्त 24
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