हमारी दारुण गाथा
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1.-मध्य युग में हम विभाजित थे,नतीजतन हम हारे।
विदेशी आक्रांता जीते।
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2.-ब्रिटिश काल में हम विभाजित थे,हम हारे।
विदेशी आक्रांता जीते।
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3.-आज तो हम सबसे अधिक विभाजित हैं।
इसका सबसे बड़ा कारण कुछ लोगों की
‘वोट लोलुपता’ है।
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सुरेंद्र किशोर
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जेहादी तत्व इस देश को पूरी तरह हड़प लेने के लिए इन दिनों दिल ओ जान से रात-दिन लगे हुए हैं।
यदि कोई जेहादियों का विरोध करता है तो ‘‘सेक्युलरिस्ट’’ उल्टे आरोप लगाते हैं कि वे (जेहाद विरोधी) नफरत फैला रहे हैं।
प्रतिबंधित संगठन पी.एफ.आई.ने सन 2047 तक हथियारों के बल पर इस काम को पूरा कर लेने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है।
(पटना के पास फुलवारी शरीफ में कुछ महीने पहले गिरफ्तार पी.एफ.आई.के लोगों के पास से जो ‘‘साहित्य’’बरामद हुआ था ,उसी से 2047 वाले लक्ष्य का पर्दाफाश हुआ।उसमें लिखा है कि हम हथियारों के बल पर सन 2047 तक भारत को इस्लामी देश बना देंगे।)
दूसरी ओर, पी.एफ.आई.से जुड़े राजनीतिक संगठन एस.डी.पी.आई.से तालमेल करके कुछ राजनीतिक दल चुनाव लड़ रहे हैं।उनकी मदद से कुछ राज्यों में
वे जीत भी रहे हैं।उन राज्यों में जेहादियों का काम आसान हो गया है।
जेहादी तो किसी लोभ-लालच से ऊपर उठकर अपना काम कर रहे हैं।
क्या हम अपनी भूमिका निभा रहे हैं ?
नहीं निभा रहे हैं।
नतीजतन जेहादियों को इस देेश में गांव दर गांव, जिला दर जिला सफलता मिलती जा रही है।
इसलिए कि आज हम कुछ अधिक ही विभाजित हैं।
हममें से अनेक लोग उनके प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से मददगार हैं।
पता नहीं, कल इस लोकतांत्रिक और सेक्युलर देश का क्या होने वाला है ?!
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इस पृष्ठभूमि में यहां एक उदार ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर.सिली की स्वीकारोक्ति से आपका परिचय करा रहा हूं।
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पहली बार आम जन को सिली से चैधरी चरण सिंह ने परिचय कराया था।
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पढ़िए सिली के शब्दों में हमारे ही कुछ पूर्वजों के शर्मनाक कारनामों का इतिहास।
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‘‘हमने (यानी ब्रिटिशर्स ने)नहीं जीता, बल्कि खुद भारतीयों ने
भारत को जीतकर हमारे प्लेट पर रख दिया’’
--- सर जे.आर. सिली
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ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर.सिली (1834-1895)ने लिखा है कि ब्रिटिशर्स ने भारत को कैसे जीता।
मशहूर किताब ‘द एक्सपेंसन आॅफ इंगलैंड’ के लेखक सिली की स्थापना थी कि
‘‘हमने (यानी अंग्रेजों ने) नहीं जीता,बल्कि खुद भारतीयों ने ही भारत को जीतकर हमारे प्लेट पर रख दिया।’’
पुस्तक की सिर्फ एक पंक्ति यहां प्रस्तुत है--
‘‘भारत को जीतने की दिशा में जिस समय हमने पहली सफलता प्राप्त की थी,उसी समय हमने अमेरिका में बसी अपनी जाति के तीस लाख लोगों को ,जिन्होंने इंगलैंड के ताज के प्रति अपनी भक्ति को उतार फेंका था,अनुशासन के तहत लाने में पूरी तरह विफलता मुंह देखा था।’’
पूर्व प्रधान मंत्री चैधरी चरण सिंह ने सर जे.आर.सिली की पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद करवा कर बड़े पैमाने पर बंटवाया था।
चरण सिंह ने एक तरह से हमें चेताया था कि यदि इस देश में गद्दार मजबूत होंगे तो देश नहीं बचेगा।पर,हमने चरण सिंह की बातों पर भी ध्यान नहीं दिया।
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मध्य युग में भी वीरता की कमी के कारण हम नहीं हारे।
बल्कि आधुनिक हथियारों की कमी और आपसी फूट के कारण हम हारे।
हमारे राजा अपने विदेशी दुश्मन की माफी को बार-बार स्वीकार कर उसे बख्श देते थे।
पर, दुश्मन एक बार भी हमें नहीं बख्शता था।
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आजादी के तत्काल बाद के भारत के हुक्मरानों ने यह सुनिश्चित किया कि ऐसा इतिहास लिखवाया जाए जिसमें हमारे देश के शूरमाओं के शौर्य,बलिदान और वीरता की चर्चा तक नहीं हो।उल्टे कहा गया--‘‘शिवाजी लुटेरा था और महाराणा प्रताप भगोड़ा था।’’
वे इस काम में सफल रहे।आज आप उन वीरों पर कोई पोस्ट
लिखेंगे तो आपको एक दर्जन लाइक भी नहीं मिलेंगे।मेरा अनुभव तो यही है।
1947 के बाद के हमारे शासकों का तर्क था कि उनके शौर्य का बखान करने से हिन्दुत्व पनपेगा।
यानी, भले दूसरा धर्म पनप जाए, किंतु हिन्दुत्व न पनपे।
जवाहरलाल नेहरू अजमेरशरीफ की दरगाह पर चादर चढ़ाने तो जाते थे,(गुगुल पर उसका वीडियो उपलब्ध है) किंतु वे सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के सख्त विरोधी थे।
आज भी कांग्रेस तथा अन्य तथाकथित सेक्युलर दल हिंसक जेहादी संगठन पी.एफ.आई.का सार्वजनिक रूप से कभी विरोध नहीं करते।(ऐसा कोई बयान उनका छपा हो तो बताइएगा।मेरा ज्ञानवर्धन होगा।)
किंतु संसद के भीतर और बाहर राहुल गांधी हिन्दुओं को हिंसक और नफरती बताते नहीं थकते।
ऐसी ही रही है अपने वोट बैंक की रक्षा की उनकी रणनीति।
अब उनकी वह रणनीति धीरे -धीरे फेल हो रही है।
पूरी तरह फेल करने की कोशिश भी हो रही है।पता नहीं इस कोशिश का क्या भविष्य होगा।
हालांकि इस कोशिश के साथ भारत के मौजूदा स्वरूप का भविष्य भी जुड़ा हुआ है।
हालांकि जेहाद समर्थक इस देश का नुकसान तो कर ही चुके हैं।
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आज की स्थिति क्या है ?
आज की स्थिति का पता ठीक ठाक यानी ईमानदार अध्ययन
हो तो चल जाएगा।
वैसे वास्तविक स्थिति यह है कि आज इस देश में गद्दारों की संख्या मध्य युग और ब्रिटिश काल से भी काफी अधिक हो चुकी है।
जिन्हें मेरी बात पर विश्वास न हो,वे कम से कम निजी टी.वी.चैनलों के डिबेट्स को ही ध्यान से देख-सुन लें।
इस तरह आज उपस्थित भीषण व चैतरफा खतरों के समक्ष इस देश का भगवान ही मालिक है,ऐसा मुझे साफ लगता है।
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19 अगस्त 24
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