देर न हो जाये,कहीं देर न हो जाये !!
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इन दिनों बांग्ला देश से जो असंख्य वीडियो आ रहे हैं,उनमें वीभत्स और हृदय विदारक दृश्य देखने को मिल रहे हैं।
इसके बावजूद इस देश की खास जमात उन मध्ययुगीन जंगली और बर्बर कृत्यों पर भी चुप है।निन्दा तक का कोई बयान नहीं।
हालांकि उनकी अखंड चुप्पी चिल्ला-चिल्ला कर कुछ कह भी रही है।राज खोल रही है।
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इस पृष्ठभूमि में मध्य युग की कुछ खास घटनाएं याद आ रही हैं।
सन 1192 में हुई तराइन की दूसरी लड़ाई में मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चैहान का काम तमाम कर दिया।
इसको लेकर आज तक लोग जयचंद की आलोचना करते रहते हैं।
पर, आज के कम ही लोग जानते हैं,राजनीतिक वर्ग से तो और भी कम लोग जानते हैं कि सन 1194 के चंदावार युद्ध में गोरी की सेना ने जयचंद का भी काम तमाम कर दिया था।
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यानी, जयचंद भी उनके हाथों नहीं बचा।दरअसल वे ‘‘जयचंदो’’ं को भी नहीं छोड़ते।
अब आज के संदर्भ में चतुर -सुजान लोग 12 वीं सदी की उन दो घटनाओं से जो भी सबक सीखना चाहते हैं,जल्दी सीख लें अन्यथा बाद में काफी देर हो चुकी होगी।
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दिनकर ने ठीक ही लिखा है--
‘समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध ।’
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