अपराधी साबित होने तक निरपराध ??
ऐसे न्याय-शास्त्र से इस भ्रष्टाचारग्रस्त
देश का काम अब नहीं चलेगा।
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--सुरेंद्र किशोर--
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‘‘अपराधी साबित होने तक किसी को निर्दोष मानने वाले कानून में परिवत्र्तन होना चाहिए।’’
यह मशहूर कथन मेरा नहीं है।
वैसे मैं कर्नाटका के पूर्व लोकायुक्त व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगडे़ की इस बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं।
यह बात हेगड़े साहब ने कही है।
अब तक तो यही माना जाता रहा कि जब तक किसी को सुप्रीम कोर्ट से सजा न हो जाए, तब तक उसे अपराधी नहीं माना जाए।
हेगड़े साहब के अनुसार, इस कानूनी मान्यता ने भ्रष्टाचार को घटाने में मदद नहीं की।
जनवरी, 2010 में ही पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगडे़ ने कहा था कि कड़े कानून होने के बावजूद देश में भ्रष्टाचार नहीं घटा।
हेगड़े साहब ने यह भी कहा कि ‘हमें उस न्याय शास्त्र को भी भुला देना चाहिए कि जो यह कहता है कि किसी निर्दोष को पीड़ित करने की तुलना में नौ अपराधियों को बरी करना बेहतर है।
(यानी, भले नौ आरोपी छूट जाएं,किंतु किसी एक भी निरपराध को सजा नहीं होनी चाहिए।)
अवकाशप्राप्त न्यायाधीश ने यह भी कहा कि आतंकवाद को लेकर हमने कानून बदले हैं और भ्रष्टाचार की समस्या भी ऐसी ही है।
हेगड़े ने हाल ही मेें यह कहकर हंगामा खड़ा कर दिया था कि एक विधवा महिला से यौन संबंधों की मांग करने वाले आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन उसे प्रमोट जरूर किया गया।
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6 नवंबर 21
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