‘दमन तक्षकों का’
नामक किशोर कुणाल (रिटायर
आई.पी.एस.) की
जीवनी प्रकाशित
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--सुरेंद्र किशोर--
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पुस्तक में बड़े-बड़े अपराधियों और
भ्रष्टाचारियों पर अभूतपूर्व प्रहार
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सनसनीखेज और चर्चित बाॅबी हत्याकांड
का प्रामाणिक विवरण इस पुस्तक में समाहित
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किशोर कुणाल की चिर प्रतीक्षित जीवनी आ गई है।
यह एक निर्भीक पुलिस पदाधिकारी की संघर्ष गाथा है।
स्वाभाविक ही है इसका नाम - ‘‘दमन तक्षकों का’’ -रखा जाए।
मैंने अभी इसे उलट-पलट कर थोड़ा ही पढ़ा है।
जीवनी क्या है मानो इसके पन्नों पर भ्रष्ट व्यवस्था का नंगा चेहरा उद्घाटित है।
किस तरह सत्ता की बड़ी -बड़ी कुर्सियों पर आसीन लोग भ्रष्टों व अपराधियों को बचाने के क्रम में किसी भी सीमा तक चले जाते हैं,उसका विवरण इस पुस्तक में है।
पहली बार श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बाॅबी के सनसनीखेज हत्याकांड का प्रामाणिक विवरण इसमें उपलब्ध है।
बहुत कुछ जानते हुए भी, जैसी बातें लिखने की हिम्मत मुझमें भी नहीं है,वह सब कुछ इस किताब में आपको मिलेंगी।
यह सच है कि किशोर कुणाल को रास्ते अनेक तक्षक मिले हैं।
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पुस्तक के प्रस्तुति कत्र्ता सायन के शब्दों में --
‘‘कुणाल गुजरात, बिहार, झारखंड और भारत सरकार में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
पुलिस से अचानक स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर उन्होंने सबको स्तब्ध कर दिया।
तक्षक वह जहरीला सांप था जिसके डंसने से राजा परीक्षित की मृत्यु हुई थी।
इस पुस्तक में तक्षक अपराधियों का प्रतीक है।
(आज) तक्षक तीन तरह के होते हंै।--
खूंखार अपराधी,
घूसखोर नेता,
और बिके हुए अधिकारी।
जब तक इन तीनों प्रकार के तक्षकों एवं उनके संरक्षकों का कानून सम्मत दमन नहीं किया जाएगा,जुर्म से मही मुक्त नहीं होगी।’’
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‘‘कुणाल नाम है उस शख्स का ,जिसे कोई धनराशि लुभा नहीं पायी,
जिसे कोई पैरवी झुका नहीं पायी और
जिसे कोई धमकी डरा नहीं पायी।
अपराधियों व भ्रष्टाचारियों पर इतना प्रबल प्रहार किसी (अन्य) पुस्तक में नहीं मिलेगा।’’
समकालीन इतिहास का साक्षी होने के नाते सायन के इस कथन से मैं सहमत हूं।
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7 नवंबर 21
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