बेहतर हो राजनीतिक पार्टियां तालाब के
बदले अविरल नदी बनें।
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--सुरेंद्र किशोर--
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शहजाद पूनावाला भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए हैं।
भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने यह नियुक्ति की है।
पूनावाला को आप अक्सर टी.वी चैनलों पर देखते होंगे।
उनको विषय की जानकारी रहती है।
श्री नड्डा ने महाराष्ट्र के विनोद तावड़े को भाजपा का राष्ट्र्रीय महा मंत्री नियुक्त किया है।
ऋतुराज सिन्हा और आशा लकड़ा को राष्ट्रीय मंत्री तथा भारती घोष को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया है।
अब आप पूछिएगा कि इन नियुक्यिों में खास बात क्या है ?
यह सब काम तो अन्य राजनीतिक दल भी करते ही रहते हैं।
खास बात जरूर है।
अन्य अधिकतर दलों व भाजपा में यह अंतर दिखाई पड़ता है कि भाजपा हर स्तर पर नए -नए लोगों को जिम्मेदारियां देती रहती है।
उदाहरणार्थ कुछ साल पहले एल.के.आडवाणी की जगह नरेद्र मोदी शीर्ष पर ला दिए गए।
यही प्रक्रिया राष्ट्रीय मंत्री से लेकर राज्यों में सत्ता व पार्टी के संगठनात्मक पदों पर भी चलती रहती है।
कोई नेता भाजपा में खुद को अपरिहार्य नहीं मान सकता।
कभी जनसंघ में उसके अध्यक्ष बलराज मधोक की तूती बोलती थी।
पर, जनसंघ से हटे तो राजनीति में महत्वहीन हो गए।
हालांकि उन्होंने कुछ किताबें आंखें खोलने वाली लिखी हैं।
अन्य अधिकतर दलों में दशकों से अधिकतर पदों पर कुछ ही चेहरे या परिवार काबिज रहते रहे हंै।
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नानाजी देशमुख चाहते थे कि नेता को साठ साल के बाद रिटायर हो जाना चाहिए।
वे खुद हो भी रिटायर गए थे।
बाद में भाजपा ने अधिकत्तम आयु सीमा 75 साल तय की।
यानी पुराने लोग हटते जाएं और नए लोगों को जगह मिलती जाए ।
यानी पार्टी नदी बने न कि तालाब।
इससे नए लोगों को भी लगता है कि उनका भी पार्टी में कोई भविष्य है।
दूसरी ओर, कुछ दल ऐसे हैं जिन दलों में आप मुख्य मंत्री,प्रधान मंत्री बनने की आस लिए शामिल नहीं हो सकते।
क्योंकि वे पद खास-खास परिवारों के लिए आरक्षित हंै।
अब तो सांसद व विधायक की सीटें भी परिवार के लिए रिजर्व होती जा रही है।
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तालाब के जल और नदी के जल में क्या अंतर है ?
नदी का जल यदि अविरल है तो वह सड़ता नहीं।
तालाब के जल के सड़ने का चांस अधिक हैं।
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21 नवंबर 21
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