मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

 कानोंकान

सुरेंद्र किशोर

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पाटलिपुत्र विवि को बख्तियारपुर में भूमि देने का प्रस्ताव सही 

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मुख्य पटना नगर से भीड़-भाड़ कम करना समय की सख्त जरूरत है।

  ऐसा जल्द से जल्द नहीं हुआ तो बाद में पछताना पड़ेगा।

न सिर्फ शासन को बल्कि निवासियों को भी।

 समस्या को कम करने के लिए बिहार सरकार ने पाटलिपुत्र विश्व विद्यालय के लिए बख्तियारपुर के पास दस एकड़

जमीन देने की योजना बनाई है।

विश्व विद्यालय के प्रस्तावित स्थानांतरण का विरोध हो रहा है।विरोध के पीछे दूरदृष्टि नहीं है।

मुख्य पटना पर से बढ़ती आबादी का बोझ घटाने के लिए कुछ अन्य संस्थानों को भी आसपास के इलाकों में स्थानांतरित करना पड़ेगा।

गंगा पार सारण जिले में जमीन मिलने में अभी आसानी होगी।

याद रहे कि सारण जिले के कुछ अंचलों को पटना महानगर का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव है।

बढ़ती आबादी के कारण भी नगरों में प्रदूषण की समस्या विकराल होती  जा रही है।यूनाइटेड नेशन्स की डराने वाली एक रपट सन 2019 में आई थी।

उसमें कहा गया कि एशिया और अफ्रीका में पर्यावरण और जल प्रदूषण की समस्या अति गंभीर है।यदि उस पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो  इस सदी के मध्य तक लाखों लोगों की अकाल मृत्यु हो जाएगी।

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पंचायती राज की विफलता

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 शिक्षकों की नियुक्ति का काम पहले ग्राम पंचायतों और नगर निकायों के जिम्मे था।

कटु अनुभवों के बाद अब वह काम आयोग करेगा।

इसके लिए अलग नियम होंगे।

यानी, पंचायतों और नगर निकायों से यह अधिकार वापस लिया जा रहा है।

कई साल पहले जब यह अधिकार पंचायतों और नगर निकायों को दिया गया था तो एक खास तरह की कल्पना राज्य सरकार ने की थी।

माना गया था कि अधिकतर जन प्रतिनिधियों के बाल-बच्चे भी तो उन्हीं स्कूलों में पढ़ते हैं।उनके बेहतर भविष्य की चिंता करते हुए वे योग्य शिक्षक बहाल करेंगे।

पर,पिछले अनुभवों ने बताया कि अधिकतर जन प्रतिनिधियों ने अपने बच्चों के भविष्य के बदले किन्हीं अन्य ‘चीजों’ की ंिचंता की।नतीजतन बड़ी संख्या में अयोग्य शिक्षक बहाल कर लिए गए।हालांकि सारे शिक्षक अयोग्य नहीं हैं।

ठीक ही कहा गया है कि यदि आप अपने अधिकारों का सदुपयोग नहीं करेंगे तो वे अधिकार एक न एक दिन आपके पास नहीं रहेंगे।

अब बिहार सरकार पर जिम्मेदारी है कि वह प्रस्तावित चयन आयोग के काम पर सतत निगरानी रखे।

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  संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण

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गत 8 फरवरी को राहुल गांधी ने लोक सभा में जोरदार भाषण किया।

किंतु अपने भाषण में उन्होंने 18 बार ऐसी बातें कह दीं

 जिन्हें सभाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही से हटा दिया।

राहुल गांधी ने ऐसी बातें कही थीं जो उन्हें सदन में नहीं कहनी

चाहिए थी।उनकी कुछ बातें असंसदीय थीं।

कुछ ऐसे आरोप थे जिनके बारे में उन्होंने स्पीकर को पहले से नहीं बताई थी।

  ऐसे मामलों में एक प्रश्न खड़ा होता है।क्या अब भी सदन की कार्यवाही को लाइव प्रसारण किया जाना चाहिए ?

बड़ी संख्या में लोग उसे देखते हैं।

राहुल गांधी की बातें उन तक तो पहुंच ही गईं।

यानी, कार्यवाही से हटा देने का कितना लाभ हुआ ?

पूरा लाभ तो नहीं हुआ।

ऐसी समस्या अक्सर आती रहती है।

हां,यदि टी.वी.चैनलों पर प्रसारण से पहले संसद की कार्यवाही का संपादन करने का प्रावधान होता तो ऐसी समस्या नहीं आती।

यही समस्या विधान सभाओं के सीधा प्रसारण के दौरान पैदा होती रहती है।  

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भूली-बिसरी याद

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सन 1977 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले की बात है।

जयप्रकाश नारायण प्रतिपक्षी दलों में एकता चाहते थे।

कुछ प्रतिपक्षी दल अपना अलग अस्तित्व बनाए रखने के पक्ष में थे।

जेपी चाहते थे कि सब मिलकर एक दल बनाएं जिससे जनता में उनके प्रति विश्वास बढ़े।

जब दलों के विलयन में देर होने लगी तो जेपी ने कहा कि आपलोग नहीं मिलेंगे तो हम अलग से पार्टी बना लेंगे।इसके बाद राजनीतिक दल ‘लाइन’ पर आ गए।

पर,दो समस्याएं और थीं।कुछ प्रतिपक्षी नेता ये मुद्दे उठाने लगे।

मोरारजी देसाई का अड़ियल स्वभाव और जनसंघ की एक खास तरह की छवि।

इस समस्या का हल कुछ इस तरह हुआ।उन प्रतिपक्षी नेताओं को जेपी ने बताया कि मोरारजी भाई ने एक बार मुझसे एक बात कही थी।वह यह कि ‘जेपी, मैंने विपक्ष में पांच साल रहकर जितना सीखा है,उतना सरकार में रहते हुए 20 वर्षों में भी नहीं सीखा।’

  जेपी की यह राय थी कि ‘जनसंघ अब सांप्रदायिक चरित्र वाला दल नहीं रह गया है।

पार्टी के नजरिए में बदलाव आया है।

जनसंघ एक राष्ट्रीय दल के रूप में उभर सकता है।’

इस तरह कुछ दलों को मिलाकर तब बन पाई थी जनता पार्टी। 

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और अंत में

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मई, 2018 में पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि ने यह घोषणा की थी कि 

जिला प्रशासन उन व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बंद करा देगा जहां पार्किंग की व्यवस्था नहीं है।

वैसे प्रतिष्ठानों के मालिकों को दो बार नोटिस दिया जाएगा।बात नहीं मानने पर दो बार जुर्माना लगाया जाएगा।उस पर भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो प्रतिष्ठान बंद कर दिए जाएंगे।

  इस दिशा में क्या प्रगति हुई है,यह किसी को नहीं मालूम। 

वैसे यह समस्या बिहार के सारे नगरों की है।

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12 फरवरी 23


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