ताजा सर्वेक्षण के अनुसार बिहार में
शराबबंदी की सार्थकता सिद्ध
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सुरेंद्र किशोर
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ताजा सर्वेक्षण के अनुसार बिहार में गत सात साल में कुल एक करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब छोड़ दी है।,
इतना ही नहीं,राज्य के 92 प्रतिशत पुरुष शराब बंदी के पक्ष में हैं तो 99 प्रतिशत महिलाएं चाहती हैं कि शराबबंदी जारी रहे।
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सर्वेक्षण के इस नतीजे ने शराबबंदी की सार्थकता सिद्ध कर दी है।
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इन दिनों महा गठबंधन के बाहर और भीतर से मुख्य मंत्री पर यह दबाव पड़ रहा है कि वे शराब बंदी समाप्त कर दें।
पर, इस मामले में मैं नीतीश कुमार की दृढ इच्छा शक्ति की सराहना करता हूं।
वास्तव में ,शराबबंदी व्यापक जनहित में हैं।
जब राजनीतिक वर्ग से शराबबंदी के खिलाफ दबे और खुले स्वर में आवाज उठती है तो मुझे कई पुराने दर्दनाक किस्से याद आ जाते हैं।
यानी, ‘‘थ्री डब्ल्यू’’ने इस देश-प्रदेश के अनेक छोटे- बड़े नेताओं को बर्बाद किया है।
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पुनश्चः मैं शुरू से इस बात की वकालत करता रहा हूं कि मेडिकल आधार पर परमिट के जरिए कुछ लोगों को शराब खरीदने की छूट मिलनी चाहिए।
दरअसल आदतन शराबियों को जब देर तक शराब से अलग रखा जाता है तो उनके शरीर में अजीब डरावना कम्पन होने लगता है।
सन 1977 में जब प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई की सरकार ने देश भर में फेज वाइज शराबबंदी लागू करनी शुरू की थी तो सरकार
ने मेडिकल आधार पर शराब खरीदने की सुविधा मुहैया कराई थी।
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25 फरवरी 23
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