मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023

     आटा या जेहाद ?

   पाक में दुविधा जारी !

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    --सुरेंद्र किशोर--

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गीतकार जावेद अख्तर ने हाल में लाहौर (पाकिस्तान) जाकर पाकिस्तानियों से कहा कि जिन लोगों ने 26 नवंबर, 2008 को मुम्बई पर हमला किया,वे अब भी यहां आजादी से घूम रहे हैं।

यानी,जावेद ने उनकी जमीन पर जाकर उन्हें उनके मुंह पर आतंकी कह दिया।

फिर भी वहां के श्रोताओं की ओर से जावेद का विरोध नहीं हुआ।

क्यों भई !

इसलिए कि इन दिनों पाकिस्तान ‘आटा’ और ‘जेहाद’ के बीच झूल रहा है।

 पाक टी.वी. आप देखेंगे तो आप पाएंगे कि पाक की एक बड़ी आबादी इन दिनों दोराहे पर है।वहां के कई लोगों को यह कहते हुए आप सुनेंगे कि भारत तो हर क्षेत्र में अच्छा कर रहा है ,किंतु हम ??????

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पिछले ही महीने पाक के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि ‘‘भारत के साथ हमने तीन युद्ध लड़े हैं

और इससे हमारी दुख,गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी है।

इस तरह से हम अपना सबक सीख चुके हंै।

अब हम शांति से रहना चाहते हैं।हम भारत से वार्ता चाहते हैं।’’

अभाव की पीड़ा झेल रहे शरीफ साहब ने कहने को तो 

 यह बात कह दी ,पर जब उनपर अतिवादियों का दबाव पड़ा तो उनके आॅफिस ने सफाई देते हुए कहा कि 

  ‘‘जम्मू कश्मीर के विभाजन पर भारत सरकार अपनी कार्रवाई वापस ले।तभी कोई बात होगी।’’

यानी पाक की जनता का एक हिससा जो सोचे किंतु शरीफ साहब के लिए कश्मीर में जेहाद जरूरी है।

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खैर,कुल मिलाकर यह बात सच है कि पाक जन में यह द्विविधा जारी है कि हमें आटा चाहिए या जेहाद।

यह दुविधा अभाव से उपजी है।पहले कोई दुविधा नहीं थी।

 अपने देश को ‘‘आतंक का कारखाना’’ बनाए रखने में उन्हें गर्व का अनुभव होता था।

दरअसल वहां के मदरसों में दी जा रही एक खास तरह की ‘शिक्षा’ का ही वह असर है।

उस खास तरह की शिक्षा जब तक जारी रहेगी,तब तक कोई शहबाज शरीफ कुछ नहीं कर सकता।

समय-समय चीन या दूसरे देश पाक को भले कर्ज देते रहेंगे ,पर वह भी कब तक ?

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लाहौर में फैज फेस्टिवल, 2023 में तो जावेद अख्तर के खिलाफ उनकी बात पर श्रोताओं ने कोई हंगामा नहीं किया।

पर,भारत के अल्पसंख्यक समुदाय का एक अतिवादी हिस्सा उतना भी उदार नहीं है।

केरल में वहां के राज्यपाल भरी सभा में मंच पर भीड़ से अपमानित होते हंै।

कई साल पहले की तसलीमा नसरीन की हैदराबाद यात्रा आपको याद होगी।

सभा भवन से वह किसी तरह अपनी जान बचा कर निकल पाई थीं।

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23 फरवरी 23


  


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