वरीय पत्रकार रवींद्र कुमार की नई पुस्तक
है ‘‘स्वाधीनता आंदोलन की बिखरी कड़ियां’’
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सुरेंद्र किशोर
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वरीय पत्रकार रवींद्र कुमार ने ‘‘स्वाधीनता आंदोलन की बिखरी कड़ियां’’ नाम से एक पठनीय पुस्तक लिखी है।
नव बिहार,प्रदीप,हिन्दुस्तान और प्रभात खबर के संपादकीय विभाग के महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके रवींद्र जी मलखाचक गांव के मूल निवासी हैं जो सारण जिले के दिघवारा अंचल में पड़ता है।
आजादी की लड़ाई में मलखाचक गांव की बड़ी भूमिका रही है।
स्वाभाविक ही है कि उस गांव के एक रचनात्मक मिजाज के पत्रकार उस भूमिका को कलमबद्ध करना चाहे।वह काम रवींद्र जी ने बखूबी किया है।
राजेंद्र काॅलेज, छपरा में रवींद्र भाई मुझसे वरीय छात्र थे।
मैंने उनसे ‘दिनमान’ पढ़ना सीखा। सन 1965 में जब अज्ञेय के संपादकत्व में दिनमान का प्रकाशन शुरू हुआ तो रवींद्र कुमार जी ने प्रारंभ से ही उसे खरीदना और पढ़ना शुरू कर दिया था।
मैंने उन्हीं की देखा-देखी दिनमान पढ़ना शुरू किया।मैं पत्रकार बना तो उसमें दिनमान की बड़ी भूमिका थी।
खैर,इस संस्मरण के जरिए मैंने यह बताया कि स्वाधीनता आंदोलन की बिखरी कड़ियां के लेखक एक गंभीर पत्रकार और सधे हुए लेखक रहे हैं।
कई किताबें उन्होंने लिखी हैं।
उनकी यह ताजा किताब भी मैं पढ़ूंगा जरूर।क्योंकि उसके जरिए कई नई जानकारियां मुझे मिलेंगी।
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सुरेंद्र किशोर
24 फरवरी 23
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