रविवार, 14 जनवरी 2024

 न भूतो न भविष्यति !

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20 लाख लोगों को नौकरी और रोजगार 

देने की प्रक्रिया बिहार में जारी

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सुरेंद्र किशोर

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मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि एक से डेढ साल के अंदर हमलोग 10 लाख नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने का अपना वादा पूरा कर देंगे।

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उसी क्रम में कल बिहार में 96 823 नये शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिले। 

इस बार सत्ता संभालते ही उप मुख्य मंत्री तेजस्वी यादव ने जब ऐसी ही बात कही थी तो शायद ही किसी को भरोसा हुआ था।

पर,यह तो हो रहा है।

 नीतीश सरकार राज्य में बिगड़ती कानून -व्यवस्था और सरकारी कार्यालयों में बढ़ते भ्रष्टाचार पर भले काबू नहीं पा रही है, किंतु नौकरी-रोजगार देने के मामले में अभूतपूर्व काम हो रहे हंै।

यदि इन लाखों नव नियुक्त लोगों को समय पर वेतन देने के लिए राज्य सरकार पैसे का भी निरंतर बंदोबस्त करती रहे तो इससे राज्य की अर्थ-व्यवस्था भी बेहतर होगी।

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चूंकि चुनाव सिर पर है,इसलिए अपराधियों और भ्रष्टाचारियों की तो फिलहाल बल्ले-बल्ले ही रहेगी।

पुलिस का मनोबल आज बहुत गिरा हुआ है। 

 इसका सीधा चुनावी लाभ भाजपा को लोक सभा चुनाव में मिलेगा।

वैसे भी नरेंद्र मोदी के पक्ष में बिहार में भी हवा कमजोर नहीं है

जहां तक लोक सभा चुनाव का सवाल है।

बिहार विधान सभा के 2025 के चुनाव में चाहे जो नतीजा हो।

हालंाकि इस बीच यदि दलीय गठबंधन में परिवर्तन हो गया तो इन दो मामलों में भी स्थिति सन 2005-13 जैसी बन सकती है।

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अब जानिए कि सरकारी नौकरी से कैसे सामान्य परिवारों की भी अर्थ व्यवस्था सुधरती है।

मेरे परिवार में पहली सरकारी नौकरी सन 1976 में आई थी।

उसके बाद हमारी जमीन बिकनी बंद हो गयी।

उससे पहले किसी भी थोड़े से बड़े काम के लिए हम जमीन बेचते थे।

दरअसल सरकारी नौकर को जरूरत पड़ने पर पड़ोसी भी कर्ज देने में संकोच नहीं करते।

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हमारे गांवों में कहावत है--

‘‘खेती करो तो तरकारी और नौकरी करो तो सरकारी।’’

1976 में बिहार सरकार ने प्राप्तांक के आधार पर बड़े पैमाने पर सरकारी शिक्षकों की बहाली की।तब की बिहार सरकार बेरोजगारों को बड़े पैमाने पर नौकरी देकर जेपी आंदोलन को कमजोर करना चाहती थी।हालंाकि उस समय आपातकाल था।

मेरी पत्नी ने भी आवेदन दिया था।उससे पहले वह जेपी आंदोलन में तीन बार जेल जा चुकी थी।

सारण जिले में इंटरव्यू बोर्ड के अध्यक्ष थे--तत्कालीन सरकार के मंत्री रामजयपाल सिंह यादव।शालीन नेता थे।

उन्होंने मेरी पत्नी से पूछा--

नौकरी नहीं मिलेगी तो क्या कीजिएगा ?

इसने चट से कह दिया कि --फिर जेपी आंदोलन करने लगेंगे।

चूंकि जेपी आंदोलन को ही कमजोर करने के लिए बहाली हो रही थी,इसलिए मेरी पत्नी की नौकरी हो गयी।

याद रहे कि राम जयपाल सिंह यादव 1957 में उसी विधान सभा क्षेत्र से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के विधायक थे जिस क्षेत्र में मेरा पुश्तैनी गांव पड़ता है।

1957 में जेपी का बयान छपा था--‘‘मैं अपना वोट प्रसोपा को दूंगा।’’

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चूंकि सी.बी.आई. बड़ौदा डायनामाइट केस के सिलसिले में मुझे बेचैनी से खोज रही थी,इसलिए मैं मेघालय जाकर भूमिगत हो गया था।

तय हुआ था कि पति-पत्नी में से किसी एक को नौकरी करनी ही है।

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अब वह जमाना तो है नहीं।

पर, आज नीतीश सरकार जिन लाखों लोगों को रोजगार और नौकरी दे रही है,यदि वे बेरोजगार रह जाते तो संभव है कि उनमें से अनेक बेरोजगार ‘‘अंधेरे की दुनिया’’ में चले जाते।

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और अंत में 

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बिहार में उत्तर प्रदेश के अनेक उम्मीदवारों की शिक्षक की नौकरी मिल रही है।

यह एक मामले में बहुत अच्छा है।

उत्तर प्रदेश के सामान्य लोगों का भी हिन्दी का उच्चारण बिहार के लोगों से बेहतर है।

वैसे नव नियुक्त स्कूल शिक्षकों से उनका उच्चारण सुनकर बिहार के विद्यार्थियों का उच्चारण थोड़ा बेहतर होगा।

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दिल्ली के कुछ मित्र शिकायत करते हैं कि बिहार के छात्र प्रतिभा में तो आगे रहते हैं, किंतु उच्चारण में पीछे रह जाते हैं।

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14 जनवरी 24

  

 

 


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