दूध(चैधरी चरण सिंह और चंद्र शेखर)का जला नेहरू-गांधी परिवार
ने 10 साल तक मन को मोहने वाला मट्ठा पीकर काम चलाया था।
ऐसे में खास तरह के एक नेता कैसे यह उम्मीद कर बैठे कि उन्हें प्रधान मंत्री बना दिया जाएगा ?
जबकि, उनका यह बयान अक्सर आता रहा है कि
(अपवादों को छोड़कर )
‘‘मैं न तो किसी को फंसाता हूं और न ही किसी को बचाता हूं।’’
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जब गठबंधन ही इसलिए बना है ताकि ‘‘केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपययोग’’ को रोका जाए तो गठबंधन के मूल उद्देश्य से ही गठबंधनी नेतागण क्यों कभी अलग होंगे ?
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कभी- कभी कुछ चतुर-सुजान नेता लोग भी किसी असंभव की
उम्मीद में आरत हृदयी होकर अपना राजनीतिक काॅमन सेंस भी भूलकर इधर-उधर नाहक भटकने लगते हैं।
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जहाज का पक्षी उतना ही उड़ता है ताकि पुनि जहाज पर आवे वाली उसकी स्थिति बनी रहे।
पुनि जहाज पर आ जाने के कारण उस पक्षी की कोई आलोचना नहीं करता।
तुलसी दास कहते हैं
--मंत्री,गुरु,वैद्य,जौं प्रिय बोलहिं भय आस
राजधर्म तन तीनि कर होइ बेगिही नास
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दरअसल दिक्कत यह है कि अधिकतर सत्ताधारियों की, सत्ता संभालते ही, अप्रिय सत्य सुनने की क्षमता समाप्त हो जाती है।
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27 दिसंबर 23
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