सोमवार, 1 जनवरी 2024

 


22 जनवरी, 24 को अयोध्या में राम 

मंदिर का शुभारंभ

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डा.राममनोहर लोहिया,रामायण मेला

और हुसेन की 150 ‘रामायण पेंटिंग्स’ 

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     सुरेंद्र किशोर

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आजादी के बाद जब डा.राममनोहर लोहिया देश को गरमाने 

के लिए निकले तो उन्हें एक बात देखकर अजीब लगा।

वह यह कि रामलीला में तो बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं किंतु हमारी सभाओं में कम ही लोग आते हैं।

संभवतः उसी के बाद उन्हें ‘रामायण मेला’ लगवाने का विचार आया।

उन्होंने लगवाया भी।

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मुझे याद नहीं कि किसी ने डा.लोहिया को कम्युनल नेता कहा हो।

दरअसल लोहिया की धर्म निरपेक्षता एकतरफा नहीं थी।

वे शब्द के सही अर्थों में धर्म निरपेक्ष थे।

हालांकि वे सामान्य नागरिक संहिता के पक्षधर थे।

यह कोई संयोग नहीं था कि लोहिया के आग्रह पर 1967 में देश की एकाधिक गैर कांगे्रसी राज्य सरकारों में जनंसघ और सी.पी.आई.के मंत्री एक साथ काम करने को तैयार हुए थे।

महीनों तक काम किया भी।

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लोहिया की चर्चित पेंटर मकबूल फिदा हुसेन (बाद में कुख्यात)से मुलाकात भी दिलचस्प थी।

एक फीचर एजेंसी के अनुसार,

लोहिया ने युवा मकबूल से कहा--

‘‘टाटा-बिड़ला के ड्राइंग रूम में लटकने वाली तस्वीरों से बाहर निकलो और ‘रामायण’ पेंट करो।

क्योंकि आर्ट गैलरी की तस्वीर लोग पतलून में हाथ डालकर देखते हैं।

लेकिन रामायण की तस्वीरों में लोग घुल-मिल जाते हैं।’’

 डा.लोहिया की बात युवा हुसेन को लग गयी।

(तब तक मकबूल में वह घृणित भावना नहीं पनपी थी जिसके कारण उसे कानून की गिरफ्त से भागकर विदेश में शरण लेनी पड़ी थी।अब वह इस दुनिया में नहीं है।)

संभवतः 1967 में लोहिया के निधन के बाद हुसेन को कायदे का कोई मार्ग दर्शक नहीं मिला होगा।)

हुसेन के बारे में तब एक कहावत थी--

‘‘जूता,छाता, लालटेन,

जय हुसेन,जय हुसेन।’’

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जूता,छाता,लालटेन वाला हुसेन वर्षों तक गांवों और शहरों की 

 राम लीलाओं के पात्रों पर गौर करता रहा।

इस तरह मकबूल फिदा हुसेन ने रामायण पर डेढ़ सौ पेंटिंग तैयार की।

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डा.लोहिया आज के तथाकथित सेक्युलर नेताओं की तरह नंहीं थे जो हिन्दू ग्रंथों की कुछ विसंगियों को तो जोर -जोर से प्रचारित  करते हैं ताकि उन्हें दूसरे धर्माें के अतिवादी लोगों के वोट आसानी से मिल जाएं,पर,दूसरे धर्मों के ग्रंथों की विसंगितयों के खिलाफ चंू तक करने की उन्हें हिम्मत नहीं होती।

इस देश में हाल के वर्षों में भाजपा के विस्तार का यह भी एक बड़ा कारण रहा है।

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22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर का शुभारंभ होने जा रहा है।

इस अवसर पर भी आज के अधिकतर लोहियावादियों का 

रवैया ‘‘वोट बैंक’’ की लिप्सा से ही पे्ररित है।

यह भी भाजपा के लिए अच्छी स्थिति है।

कल्पना कीजिए कि डा. लोहिया आज जीवित होते तो 22 जनवरी, 2024 को वह कहा रहते ?!

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 डा.लोहिया ने राम,कृष्ण और शिव पर अद्भुत बातें कहीं हैं।

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वह सब ‘‘राम,कृष्ण और शिव,नदियां साफ करो’’नामक पुस्तिका में दर्ज है।

उस पुस्तिका को पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग,आईटीएम यूनिवर्सिटी,ग्वालियर,मध्य प्रदेश ने फिर से प्रकाशित किया है।

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1 जनवरी 24



 


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