ताकि आप बाद में यह न कहें कि
पहले बताया-चेताया क्यों नहीं था ?!
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सुरेंद्र किशोर
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सन 2020 में ही अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक प्रचारक डा.जाकिर नाइक ने कह दिया था कि भारत में हिन्दुओं की संख्या ,कुल आबादी का अब 60 प्रतिशत से भी कम रह गई है।
(यह बात आप भी गुगल पर पढ़ सकते हैं।)
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हाल में सम्बल से सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क को टी.वी.पर मैंने यह कहते सुना कि ‘‘भारत में मुसलमानों की संख्या अब 40 प्रतिशत हो चुकी है।’’
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प्रतिबंधित जेहादी संगठन पी.एफ.आई.ने यह तय कर रखा है कि ‘‘हम हथियारों के बल पर सन 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बना देंगे।’’
हाल में टी.वी.की चर्चित हस्ती मौलाना रशीदी को मैंने टी.वी.पर ही यह कहते सुना कि 2047 से पहले ही वह काम हो जाएगा।
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अब आप समझ लीजिए कि आप यदि गैर मुस्लिम हैं तो आने वाले वर्षों में आपका और आपके बाल-बच्चों का क्या हाल होने वाला है !
अन्य देशों और मध्यकालीन भारत का इतिहास आप जानते ही होंगे।नहीं जानते हैं तो एक बार पढ़ लीजिए।
या फिर बांग्ला देश की ताजा घटनाओं को टी.वी.चैनलों पर लाइव देख ही रहे होंगे।गौर से देखिए।
लगे हाथ यह भी बता दूं कि इस देश का कोई भी तथाकथित सेक्युलर राजनीतिक दल या बुद्धिजीवी इन जेहादियों या इनके कारनामों के खिलाफ कुछ नहीं बोलता या लिखता।
बल्कि उनका बचाव ही करता है।क्योंकि उन्हें उनके एकमुश्त वोट मिलते हैं।
इस मामले में स्थिति मध्यकालीन भारत से भी आज बहुत खराब और चिंताजनक है।
(दरअसल यह बात हमें नहीं पढ़ाई गई है कि पृथ्वीराज चैहान की हत्या के बाद मुहम्मद गोरी के लोगों ने जयचंद को भी मार दिया था।)
इस देश में सक्रिय जेहादी संगठन पी.एफ.आई से जुड़े राजनीतिक संगठन एस.डी.पी.आई.से, जो चुनाव भी लड़ता है,कांग्रेस की मजबूत साठगांठ है।पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पी.एफ.आई.की महिला शाखा के समारोह में शामिल होने के लिए 23 सितंबर, 2017 में कोझीकोड क्यों गए थे।
उन्हीं तत्वों के बल पर नायनाड से, जहां 48 प्रतिशत मुस्लिम हैं,राहुल गांधी लोस में गये थे। और प्रियंका गांधी वहीं से अब सांसद हैं।
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पी.एफ.आई.का ताजा बयान है कि जिस दिन भारत के 10 प्रतिशत भी मुसलमान हमारे साथ आ जाएंगे ,उस दिन हम भारत को हथियारों के बल पर इस्लामिक देश बना देंगे।
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यानी, 10 प्रतिशत मुस्लिम भी अभी उनके साथ हथियार उठाने को तैयार नहीं हैं।यह इस देश की बहुसंख्यक आबादी के लिए राहत की बात हंै।
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8 जनवरी 25
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नई परिभाषा
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पुनश्चः
इस देश के जो राजनीतिक दल, व्यक्ति या बुद्धिजीवी इन जेहादियों के मंसूबे के खिलाफ बोलता या कुछ करता है,उसे इस देश में कुछ लोग नफरती तत्व और कम्युनल कहते हंैं।
इससे उलट जो राजनीतिक दल या बुद्धिजीवी या व्यक्ति इन जेहादियों के पक्ष में बोलता है या उनके कारनामों को दबाता-छिपाता है,उन्हें कुछ सेक्युलर कहते हंै।
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