सदिच्छा है कि इस बार भी बिहार में कार्यरत
किसी बिहारी पत्रकार को मिले पद्म सम्मान !
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सुरेंद्र किशोर
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सदिच्छा है कि इस बार भी बिहार में कार्यरत किसी बिहारी पत्रकार को पद्म सम्मान मिले।
गत साल मुझे मिला था।
बिहार में कार्यरत किसी बिहारी पत्रकार को पहली बार गत साल मिला।
अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बिना मांगे मिला।
पिछली बार जब मुझे मिला तो संपादक रवीन्द्र नाथ तिवारी ने अपनी मासिक पत्रिका ‘‘भारत वार्ता’’ मेरे नाम समर्पित की थी।
शायद उन्हें मालूम था कि मैंने उस सम्मान के लिए कभी किसी से आग्रह नहीं किया था।
सन 1954 में ही पद्म सम्मान का प्रावधान शुरू हुआ था।
पर,दशकों बाद यानी गत साल ही पहली बार बिहार में कार्यरत किसी बिहारी पत्रकार को यह सम्मान मिल सका।
लगता है कि रवीन्द्र नाथ तिवारी मेरी पृष्ठभूमि
के बारे में भी कुछ जान गये थे।
वह यह कि मैं एक ऐसे किसान परिवार से आता हूं जो अपने परिवार का पहला मैट्रिकुलेट था।
काॅलेज जाने से पहले नंगे पांव ही स्कूल जाता था।
जब सामान्य प्रतिभा और सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले को
बिन मांगे यह सम्मान मिल सकता है तो बेहतर प्रतिभा वाले पत्रकार बिहार में मौजूद हैं और पहले भी रहे हैं।
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याद रहे कि हर साल 25 जनवरी को पद्म सम्मानित लोगों के नामों की घोषणा हो जाती है।
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9 जनवरी 25
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