गुरुवार, 22 जून 2023

      बिना सबूूत के किसी को भ्रष्ट कहने-लिखने 

    पर आप कानूनी  परेशानी फंस सकते हंै 

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राहुल गांधी का उदाहरण सामने है

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सुरेंद्र किशोर

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जब से राहुल गांधी को गुजरात की अदालत ने सजा सुनाई है,तब से संभवतः राहुल ने न तो यह कहा है कि ‘‘चैकीदार चोर है’’ और न ही यह भी सवाल पूछा है कि ‘‘सारे मोदी चोर ही क्यों होते हैं ?’’

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दरअसल होशियार व्यक्ति दूसरों की गलतियों से सबक ले लेते हैं।

किंतु जो हाशियार नहीं होते वे खुद गलती करने के बाद ही सीख पाते हैं।

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राहुल गांधी ने तो शिक्षा ग्रहण कर ली।

हालांकि पता नहीं कि वह स्थायी है या अस्थायी !!

किंतु फेसबुक पर सक्रिय कुछ लोग कभी भी किसी नेता को भ्रष्ट और चोर लिख देते हैं।

वैसे कुछ लोग मेरे फेसबुक वाॅल पर भी अपनी भंड़ास यदा कदा निकालते रहते हैं।

मैं तो वैसे लोगों को धीरे -धीरे अनफं्रेड करता जा रहा हूं।

पर,ऐसे लोगों को एक बात समझ लेनी चाहिए--

आप कानूनन उसी व्यक्ति को भ्रष्ट लिख या कह सकते हैं जिसके खिलाफ आरोप सुप्रीम कोर्ट तक में सिद्ध हो चुका हो और राष्ट्रपति से भी उसे कोई राहत नहीं मिली हो।

इस स्थिति का लाभ आपको अधिक दिनों तक नहीं मिलेगा कि मुकदमा करने की फुर्सत बहुत कम लोगों को है।

लेकिन जब उसे फुर्सत मिल जाएगी तो आप परेशानी में पड़ सकते हैं।

ऐसा नहीं है कि जिस व्यक्ति को आप भ्रष्ट लिख रहे हैं,वह भ्रष्ट नहीं है।पर,क्या आपके पास उसका कोई ठोस सबूत भी है ?

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अस्सी के दशक में एक व्यक्ति ने मुझ पर मानहानि का केस कर दिया।

जब मैं उसके यहां समझौते के लिए गया तो उसने कहा कि आपने एक लाइन भी गलत नहीं लिखा है।

पर,मैं यह भी जानता हूं कि आपके पास एक लाइन का भी सबूत नहीं है।

अंततः मुझे व हमारे संपादक को लिखित क्षमा मांगनी पड़ी।

यह सोच कर हमने अपमान स्वीकार कर लिया कि मैं गलत नहीं था।जनहित

में मैंने लोगों को सूचना देने के अपने कर्तव्य का पालन किया।

लेकिन उस दौरान मुझे कचहरी व वकील ने खूब दौड़ाया,थकाया और पैसे खर्च करवाया।

छपने पर तो लोग तालियां बजाते हैं,पर मुकदमा होने पर कोई मदद नहीं करता। 

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हाल में मैं भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी के फेसबुक वाॅल पर गया। देखा कि उनको मिलने वाली गालियां अब लगभग लुप्त हो गयी हैं।

क्यों ?

इसलिए कि सुना है कि गांलियां देने वाले मुकदमे झेल रहे हैं।

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आप जिसे भ्रष्ट कहते या मानते हैं,वे संभव है कि भ्रष्ट ही हों।

किंतु जब आप पर केस होगा तो आपको कोर्ट में साबित करना पड़ेगा।

क्या आप कर पाएंगे ?

यदि नहीं तो केजरीवाल की तरह माफी मांगेंगे।या राहुल की तरह सजा झेल कर चुप हो जाएंगे।

वैसे उस बीच कचहरी का चक्कर तो लगाना पड़ेगा।

कचहरी और अस्पताल का चक्कर बड़ा थकाऊ होता है।

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किसी नेता को पसंद या नापसंद करने का आपको पूरा अधिकार है।

ऐसा है तो शालीन शब्दों में उसका विरोध करिए।

मतदान के समय उसके या उसके दल के खिलाफ कुछ ज्यादा ही जोर लगा कर बटन दबाइए।

पर,इस बीच मन की भड़ास निकालने के चक्कर में खुद को या किसी अन्य के फेसबुक वाॅल को कानूनी पचड़े में मत डालिए।

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हर व्यक्ति में कुछ खूबियां हैं तो कुछ खामियां भी हैं।

किसी में कम तो किसी में ज्यादा।

राजनीतिक नेताओं व दलों पर भी यही बात लागू होती है।

 कुछ अधिक ही लागू होती है।

पर,जो राजनीति में हंै,उन्हीं में से जनता किसी को चुनेगी।

गद्दी पर बैठाएगी।आप तो आराम से पारिवारिक जीवन बिता रहे हैं।

आप तो 24 कैरेट के सोना हैं।

सक्रिय राजनीति में जाइए।

पूरी राजनीति को बदल दीजिए।लोग स्वागत करेंगे।

पर,आप तो जाएंगे नहीं।

इसीलिए जो जाएगा,वही अपने ढंग से राज व राजनीति चलाएगा।

उसके खिलाफ सबूत के साथ आरोप अपने फेसबुक वाॅल पर लगाइए।

उससे आपका वाॅल भी रातों-रात लोकप्रिय हो जाएगा।

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22 जून 23 

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