गुटका के शौकीनो , शरद पवार का चेहरा
गौर से देख लो
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सुरेंद्र किशोर
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शरद पवार सन 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे थे।
अन्य उम्मीदवार थे सीताराम केसरी और राजेश पायलट।
केसरी जी विजयी हुए।
यह खबर बताने के लिए मैंने इस बात की चर्चा नहीं की।
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दरअसल तब पवार साहब पटना आए थे-प्रचार के सिलसिले में।
डा.जगन्नाथ मिश्र के सरकारी आवास पर उनका प्रेस कांफं्रेस था।
संवाददाता के रूप में मैं भी वहां मौजूद था।
करीब पौन घंटे के प्रेस कांफ्रेंस में शरद पवार ने पाॅकेट से निकाल कर दो या तीन बार गुटका फांक लिया।
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तब तक उनका चेहरा गोल मटोल और व्यक्तित्व प्रभावशाली था।
मुझे उनके ‘गुटका फांको अभियान’ से तभी यह लग गया था कि इनके स्वास्थ्य को गंभीर पैदा हो सकता है।
आज पटना में शरद पवार संवाददाताओं के समक्ष बोल रहे थे।
आपने देखा होगा कि उन्हें बोलने में कितनी दिक्कत हो रही थी।
क्या आपने उनकी बातों को समझा ?
इन दिनों एक तरफ का उनका चेहरा बुरी तरह सूजा हुआ रहता है।
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वर्षों से उनके चेहरे का यही हाल है।
यदि ऐसा नहीं होता तो राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री पद के वे गंभीर उम्मीदवार होते।
बनते या नहीं बनते ,यह अलग बात है।
पवार साहब आर्थिक रूप से अत्यंत संपन्न व्यक्ति हैं।
सर्वोत्तम इलाज के बल पर ही चल रहे हैं।
पर सामान्य आर्थिक क्षमता वालों पर जब गुटका की मार पड़ती है तो उनके हश्र की कल्पना कर लीजिए।गुटका प्रेमियो,पवार साहब से सबक ले लो।
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23 जून 23
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