गुरुवार, 8 जून 2023

 समर शेष हैं,नहीं पाप का भागी केवल व्याध,

जो तटस्थ हैं,समय लिखेगा,उनका भी अपराध !

   --- राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर

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भारतीय इतिहास के चार अध्याय

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(वर्तमान दौर सर्वाधिक खतरनाक)

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     अध्याय-1

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 जयचंद ने जब-जब पृथ्वीराज चैहान का साथ दिया, 

गोरी तब-तब हारा।

पर,जब निजी अपमान के कारण जयचंद चुप बैठ गया तो गोरी ने चैहान को हरा दिया।

भले अपुष्ट इतिहास के अनुसार बाद में जयचंद भी गोरी के हाथों ही मरा।पर,देश का इतिहास तो बदल चुका था।  

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कौन नहीं जानता कि मान सिंह ने अपनी सत्ता के लिए अकबर से समझौता करके महाराणा प्रताप के खिलाफ युद्ध लड़ा !ऐसे अन्य उदाहरण भी हैं।

किन्हीं दो-चार शासकों से 

ही इतिहास नहीं बदला।

लाखों-करोड़ों तटस्थ लोगों ने भी विदेशी आक्रंाताओं की प्रत्यक्ष-परोक्ष मदद की।

 आज यह देख-समझ कर आंखों से आंसू आ जाते हैं कि वही इतिहास आज दुहराया जा रहा है।

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अध्याय-2

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ब्रिटिश साम्राज्य के संस्थापक राबर्ट क्लाइव के अनुसार,

 ‘‘हिन्दुस्तान को गुलाम बनाने के लिए 

जब हमने पहला युद्ध किया और जीतने के बाद हम जब विजय जुलूस निकाल रहे थे तो वहां मौजूद हिन्दुस्तानी जुलूस देखकर तालियां बजा रहे थे।

अपने ही देश के राजा के हारने पर वे खुशी से हमारा स्वागत कर रहे थे।

  अगर वहां मौजूद सब हिन्दुस्तानी मिलकर उसी समय को सिर्फ एक -एक पत्थर उठाकर हमलोगों ही मार देते तो हिन्दुस्तान आजाद हो जाता।उस समय हम अंग्रेज सिर्फ तीन हजार थे।’’

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अध्याय-3

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 ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर.सिली (1834-1895)ने लिखा है कि ब्रिटिशर्स ने भारत को कैसे जीता।

मशहूर किताब ‘द एक्सपेंसन आॅफ इंगलैंड’ के लेखक सिली  के अनुसार , 

‘‘हमने (यानी अंग्रेजों ने) नहीं जीता,बल्कि खुद भारतीयों ने ही भारत को जीतकर हमारे प्लेट पर रख दिया।’’

  सिली ने लिखा है कि ‘‘भारत को जीतने की दिशा में जिस समय हमने पहली सफलता प्राप्त की थी,उसी समय हमने अमेरिका में बसी अपनी जाति के तीस लाख लोगों को,जिन्होंने इंगलैंड के ताज के प्रति अपनी भक्ति को उतार फेंक दिया था,अनुशासन के तहत लाने में पूरी विफलता का मुंह देखा था।’’

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अध्याय-4

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हाल में अतिवादी जेहादी संगठन पाॅपुलर फं्रट आॅफ इंडिया का एक गुप्त केंद्र बिहार के फुलवारीशरीफ में पकड़ा गया।

उसके पास से बरामद गुप्त कागजात से यह पता चला कि पी.एफ.आई. हथियारों के बल पर सन 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बना देने के लक्ष्य के तहत पूरी तरह सक्रिय है।वह हजारों हथियार अपने लश्करों को बांट रहा है।

उसका एक राजनीतिक संगठन है जिसका नाम है--एस.डी.पी.आई.।

इस दल के साथ हाल के कर्नाटका चुनाव में भी कांग्रेस ने पिछले दरवाजे से तालमेल किया।

नतीजतन कांग्रेस को अधिकांश मुस्लिम वोट मिल गये।मुसलमानों ने कांग्रेस से कुछ खास शर्तें मनवाने के बाद  जद एस को वोट नहीं दिया।

इससे पहले सन 2018 के विधान सभा चुनाव में भी पी.एफ.आई.के साथ कांग्रेस ने कर्नाटक में 25 विधान सभा सीटों पर तालमेल किया था।

कांगे्रस तथा अन्य सभी दलों को मालूम है कि पी.एफ.आई.का लक्ष्य क्या है। 

  फिर भी कोई भी तथाकथित सेक्युलर दल या प्रगतिशील बुद्धिजीवी पी.एफ.आई. और उसके कारनामों के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलता।देश व हमारी अगली पीढ़ियों के लिए कितनी खतरनाक बात है !

  यानी, आज एक बार फिर मध्य युग दुहराया जा रहा है।

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पी.एफ.आई. तथा अन्य अतिवादी मुस्लिम संगठन सेक्युलर दलों की प्रत्यक्ष-परोक्ष मदद से लव जेहाद,अवैध घुसपैठ,धर्मांतरण और अन्य तरीकों से इस देश में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ा रहे हैं।लव जेहाद ने तो महामारी का रूप ग्रहण कर लिया है।

जाकिर नाइक ने, जिसे कांग्रेसी दिग्विजय सिंह शांति दूत कहते हैं,कहा है कि भारत में मुसलमानों की आबादी बढ़कर 40 प्रतिशत हो चुकी है।

पिछले कुछ ही साल में देश के कई हिन्दू बहुल जिले मुस्लिम बहुल हो चुके हैं।

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और केरल में सी.पी.एम.सरकार इनके सबसे बड़े मददगार हैं।

अब कर्नाटका के सिद्धारमैया भी ममता और सी.पी.एम. से इस मामले में प्रतियांगिता कर रहे हैं।हालांकि अन्य सेक्युलर दल भी दूध के धोए नहीं हैं।

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अब अगले दस-पंद्रह वर्षों में हिन्दुओं के ही एक हिस्से के मौन व मुखर समर्थन से पी.एफ.आई व अन्य क्या-क्या गुल खिलाने वाले हैं,उसकी कल्पना कर लीजिए।

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7 जून 23

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इतिहास के इस नाजुक मोड़ पर ऐसे कटु सत्य लिखने के लिए मैं मजबूर हो गया था।

यदि नहीं लिखता तो मेरी अंतरात्मा मुझे माफ नहीं करती।

मेरा यह पोस्ट जिसे जैसा लगे,लगता रहे,मैंने जीवन की संध्या बेला में सिर्फ लेखक -पत्रकार के रूप में अपना धर्म निभाया है।

 

  


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