शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

 आतंकियों के खिलाफ युद्ध जीतना हो तो सरकारी 

भ्रष्टाचार के खिलाफ महा युद्ध करिए

अन्यथा, यह देश नहीं बचेगा

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सुरेंद्र किशोर

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महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक जेल जाने के बावजूद मंत्री पद पर बने हुए हैं। 

किंतु आरोप लगने पर कर्नाटका के मंत्री के.एस.ऐश्वरप्पा ने कहा है कि मैं मंत्री पद से इसी शुक्रवार को इस्तीफा दे दूंगा।

  यह तो भिन्नता हुई।

पर, भ्रष्टाचार के विस्तार व गंभीरता के मामले में दोनों राज्यांे में कितनी समानता है ?

जो लोग इन राज्यों से आने वाली खबरों पर नजर रखते हैं,वे कहते हैं कि उनमें कोई खास भिन्नता नहीं है।

काफी समानताएं हैं।

हालांकि महाराष्ट्र, कर्नाटका से अब भी आगे है।

एक दूसरे को बचाने की कोशिश के मामले में तो महाराष्ट्र के कुछ नेताओं का किसी से कोई मुकाबला ही नहीं।

 भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप से सने एक नेता को बचाने की सिफारिश करने शरद पवार हाल में प्रधान मंत्री के पास चले गए।

हालांकि पी एम ने उन्हें कोई आश्वासन नहीं दिया।

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कर्नाटका के ठेकेदार का आरोप है कि वहां के मंत्री ने उससे 40 प्रतिशत कमीशन मांगा।

ठेकेदार ने आत्म हत्या कर ली।

जानकार लोग बताते हैं कि सांसद फंड का कमीशन भी इतना ही है।

हालांकि कई सांसद आज भी कमीशन नहीं लेते।

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बताया जाता है कि सांसद फंड में कमीशन के अनुपात में ही सरकारी काम में कमीशन बढ़ता जा रहा है।

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बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण भी देश की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा को भारी खतरा पहुंच सकता है।

टुकड़े-टुकड़े गिरोह के सदस्य हमारी पूरी सिस्टम को ही एक दिन खरीद ले सकते हैं।

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यदि आपको इस बात में शक हो तो नब्बे के दशक के जैन हवाला कांड को याद कर लीजिए।

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जैन हवाला कांड के लाभुकों में भारत के एक पूर्व राष्ट्रपति ,दो पूर्व प्रधान मंत्री, कई पूर्व मुख्य मंत्री व पूर्व-वत्र्तमान केंद्रीय मंत्री स्तर के अनेक नेता शामिल थे।

  पैसे पाने वालों में  खुफिया अफसर सहित  15 बड़े -बड़े अफसर भी  थे ।

कुल 55 लाभार्थी थे।(याद रहे कि इनमंे से एक हस्ती को 2 करोड़ रुपए मिले थे।)

  कश्मीरी आतंकियों के लिए पैसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. हवाला कारोबारियों के जरिए भिजवाती रही।

उन्हीं पैसों में से काफी पैसे 55 बड़ी हस्तियों को मिले थे।

तब के ‘इंडिया टूडे’ के अनुसार कुछ लाभुकों ने अपने प्रभाव  का इस्तेमाल करके आतंकियों को बचाए भी थे। 

जिस घोटाले में लगभग सभी प्रमुख दलों के बड़े नेता

शामिल हों तो उसमें सजा किसे होगी ?

केस चला,पर सजा नहीं हुई।

इस जैन हवाला केस में सजा से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पर भारी दबाव पड़ा।

 तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे.एस.वर्माने खुली अदालत में खुद पर भारी दबाव की चर्चा की थी।(भयवश वर्मा साहब ने दबाव डालने वालों को नाम सार्वजनिक नहीं किया।)

  याद रहे कि उन 55 में से शरद यादव व राजेश पायलट सहित कुछ लाभुकों ने स्वीकार किया था कि किसी जैन ने आकर हमें पैसे दिए थे।

क्या कोई भी व्यक्ति आकर भारी राशि दे देगा और आप उसे स्वीकार कर लेंगे,उसका कुल -गोत्र- मंशा जाने बिना ?

ऐसे हैं हमारे देश के कुछ लोभी लाभुक नेतागण। 

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निखिल चक्रवर्ती संपादित ‘मेनस्ट्रीम’ पत्रिका(12 नवंबर 1994) में मधु लिमये ने पैसे पाने वालों की सूची छपवा दी थी।

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कालचक्र के जरिए इस कांड का भंडाफोड़ करने वालों में एक विनीत नारायण ने तो इस पर करीब 300 पेज की किताब ही लिख दी।वह किताब मेरे सामने है।

‘जनसत्ता’ में राम बहादुर राय ने भी इस कांड पर लिखा था।

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कोई भी यह मानेगा कि नब्बे के दशक की अपेक्षा (सांसद फंड की शुरूआत के बाद)इस देश में भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया है।

साथ ही लोभी नेताओं की संख्या व उनका ओहदा भी।

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जिस देश की बड़ी -बड़ी हस्तियों को कोई भी व्यक्ति आकर  पैसे दे देगा और वे ले लेंगे ?

यदि ऐसा है तो उनके हाथों अपना देश कितना सुरक्षित है ?

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अच्छी मंशा वालों से अपील है कि यदि आप आतंकियों-राष्ट्रद्रोहियों-टुकड़े -टुकड़े गिराहों के खिलाफ जारी युद्ध में अंततः जीतना चाहते हैं तो सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ भी महा युद्ध छेड़ दीजिए।सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तरों पर।

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