कृषि कानून
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निजी प्रतिष्ठान पंजाब में गेहूं खरीदने से परहेज कर रहे हैं।
क्योंकि वहां अधिक मंडी शुल्क है।
दूसरी ओर ,अन्य राज्यों के किसानों को उनकी फसल का मूल्य एम एस पी से भी अधिक मिल रहा है।
वहां खुले बाजार में न्यूनत्तम समर्थन मूल्य से अधिक पैसे किसानों को मिल रहे हैं।दैनिक जागरण की यही खबर है।
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कृषि कानूनों को वापस करा देने के लिए किसानों ने करीब एक साल तक दिल्ली के पास धरना दिया।
जन जीवन अस्त व्यस्त कर दिया।
कानून वापस हो गया।
वापसी से पंजाब के अढ़तिए और मंडी के दलाल अधिक खुश हुए।क्योंकि मंडियों का वर्चस्व बना रहा।
पर, वहां के किसानों को क्या मिला ?
उन्हें अपनी फसल को अन्य राज्यों की अपेक्षा कम कीमत पर बेचना पड़ रहा है।
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आंदोलन के दिनों यह कहा जाता था कि आंदोलन किसानोें का नहीं बल्कि अढ़तिए और मंडी के दलालों का है।वह बात बाद में सच साबित हुई।
याद करें आंदोलनकारी धरना स्थल पर ए.सी.लगे टेंट में रहते थे और टी.वी.पर काजू- किसमिस खाते नजर आतेे थे।
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सुरेंद्र किशोर
27 अप्रैल 22
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