आजाद भारत के अजब नेताओं
की गजब कहानी
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सुरेंद्र किशोर
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मात्र 12 हजार रुपए का प्रबंध न हो पाने के कारण
डा.लोहिया इलाज के लिए जर्मनी न जा सके और
गुजर गए
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किंतु सोनिया गांधी के न्यूयार्क में इलाज के लिए
एक बैंक के प्रमुख से 2 करोड़ रुपए वसूल लिए गए
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डा.राममनोहर लोहिया सन 1967 में प्रोस्टेट के आॅपरेशन के दौरान नई दिल्ली के वेलिंगटन अस्पताल (अब राम मनोहर लोहिया अस्पताल)में अकाल मौत मर गए।
वे जर्मनी में अपना आपरेशन करवाना चाहते थे।
जर्मनी के एक विश्वविद्यालय ने उन्हें भाषण देने के लिए आमंत्रित किया था।
आने-जाने का ख्र्च जर्मन विश्व विद्यालय दे रहा था।
पर वहां आॅपरेशन में 12 हजार रुपए लगने थे।
1967 में बिहार और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें थीं।
उनमें से कई सरकारों में डा.लोहिया की पार्टी संसोपा के मंत्री भी थे।
बिहार में तो कर्पूरी ठाकुर उप मुख्य मंत्री,वित्त मंत्री और शिक्षा मंत्री थे।
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पर, डा.लोहिया ने अपने लोगों से कह दिया था कि जिन राज्यों की सरकारों में हमारे दल के मंत्री हैं,वहां से मेरे इलाज के लिए चंदा नहीं आएगा।
डा.लोहिया ने एक मजदूर नेता से कहा कि तुम बंबई के मजदूरों से मेरे इलाज के लिए चंदा एकत्र करो।
वह मजदूर नेता समय पर चंदा एकत्र नहीं कर सके।
इस बीच लोहिया की बीमारी बढ़ गई।
उन्हें दिल्ली के वेलिंगटन अस्पताल में तुरंत भर्ती होकर आपरेशन कराना पड़ा।
पता नहीं, जानबूझ कर,लापारवाही से या किसी षड्यंत्र के तहत लोहिया को इन्फेक्सन हो गया।
उन्हें बचाया नहीं सका।
सन 1977 की केंद्र सरकार ने उनके इलाज में हुई लापरवाही के आरोप की जांच कराई।
किंतु बाद में यह सुना गया कि जो डाक्टर कसूरवार ठहराया गया,वह मोरारजी सरकार की एक बड़ी हस्ती का करीबी निकल गया।
उसे बचा लिया गया।
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खैर, अब सोनिया गांधी के इलाज पर आइए।
आज के अखबारों में एक सनसनीखेज किंतु शर्मनाक खबर छपी है।
वह यह कि यस बैंक के पूर्व अध्यक्ष राणा कपूर को प्रियंका गांधी से (मकबूल फिदा हुसेन की) पेंटिंग 2 करोड़ रुपए में खरीदने के लिए विवश किया गया था।
कांग्रेस नेता व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा ने राणा से वायदा किया था कि पेंटिंग खरीदने पर उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
याद रहे कि राणा ने पेंटिंग खरीदी और उसी पैसे से सोनिया गांधी का न्यूयार्क में इलाज हुआ।
अब कांग्रेस यह नहीं कह रही है कि खरीदने की खबर गलत है।
बल्कि यह कह रही है कि यह बात पुरानी है।
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25 अप्रैल 22
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