जब रक्षक ही बन जाए भक्षक !
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सुरेंद्र किशोर
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प्रवर्तन निदेशालय ने एक पूर्व बी एस एफ अफसर सतीश कुमार को इसी सोमवार को गिरफ्तार किया है।
वह भारत-बांग्ला देश सीमा पर तैनात था।
बी एस एफ के 36 बटालियन के कमांडेंट रहे सतीश पर एक तस्कर से 12 करोड़ रुपए लेने का आरोप है।
तस्करों ने ये पैसे अफसर सतीश के पत्नी और ससुर के बैंक खातों में डाले ।
इससे पहले केंद्रीय एजेंसी ने तस्कर मुहम्मद एनामुल हक, विनय मिश्र तथा अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।इन पर मनी लाउंडरिंग का भी आरोप है।
विनय मिश्र तृणमूल युवा कांग्रेस का पदाधिकारी है और टीएमसी एम.पी.अभिषेक बनर्जी का अत्यंत करीबी है।
विनय मिश्र यह देश छोड़कर भाग गया है।
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भारत -बांग्ला देश सीमा पर पशुओं से लेकर कोयला तक और बांग्ला देशी व रोहिंग्या घुसपैठियों तक की भी खुलेआम ‘तस्करी’ होती रही है।
तस्करों को पहले वाम मोर्चा तथा अब ममता सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
घुसपैठियां इनके वोट बैंक रहे हैं।
बी.एस.एफ. के अनेक अफसरांे व सिपाहियों की उन तस्करों से साठगांठ रही है।
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मनमोहन सिंह सरकार ने संसद में बताया था कि पश्चिम बंगाल में 57 लाख घुसपैठिए हैं।
बिहार में 5 लाख,असम में 50 लाख दिल्ली में साढ़े तीन लाख,त्रिपुरा सवा तीन लाख,नगालैंड में 50 हजार और देश के अन्य प्रांतों में करीब 50 लाख घुसपैठिए मौजूद हैं।
चूंकि घुसपैठियों का आना अब भी जारी है, इसलिए इनकी ताजा संख्या का आप अनुमान लगा ही सकते हैं।
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ममता पहले घुसपैठियों के सख्त खिलाफ थीं।
अब उनके बचाव में हैं।ं
ऐसे-ऐेसेे नेता मिले हैं अपने इस अभागे देश को !
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4 अगस्त, 2005 को ममता बनर्जी ने लोक सभा के स्पीकर के टेबल पर कागज का पुलिंदा फेंका।
उसमें अवैध बांग्ला देशी घुसपैठियों को मतदाता बनाए जाने के सबूत थे।
उनके नाम पश्चिम बंगाल में गैरकानूनी तरीके से मतदाता सूची में शामिल करा दिए गए थे।
वह काम वाम मोर्चा सरकार ने किया था।
ममता ने संसद में गुस्से में कहा कि घुसपैठ की समस्या राज्य में महा विपत्ति बन चुकी है।
याद रहे कि इन घुसपैठियों के वोट का लाभ तब वाम मोर्चा उठा रहा है।
ममता ने उस पर सदन में चर्चा की मांग की।
चर्चा की अनुमति न मिलने पर ममता ने सदन की सदस्यता
से इस्तीफा भी दे दिया था।
चूंकि एक प्रारूप में विधिवत तरीके से इस्तीफा तैयार नहीं था,इसलिए उसे मंजूर नहीं किया गया।
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जब घुसपैठियों के वोट ममता
बनर्जी को मिलने लगे
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3 मार्च 2020
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पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि
‘‘जो भी बांग्ला देश से यहां आए हैं,बंगाल में रह रहे हैं ,
चुनाव में वोट देते रहे हैं, वे सभी भारतीय नागरिक हैं।’’
इससे पहले सी ए ए,एन पी आर और एन आर सी के विरोध में ममता ने कहा कि इसे लागू करने पर
गृह युद्ध हो जाएगा ।
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एक बार पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद ने संसद में कहा
कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में हिंदुओं को त्योहार मनाने के लिए अब स्थानीय इमाम से अनुमति लेनी पड़ती है।
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कई साल पहले ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में एक खबर छपी थी।
उसमें पश्चिम बंगाल के एक गांव की कहानी थी।
वह गांव बंाग्ला देशी मुस्लिम घुसपैठियों के कारण
मुस्लिम बहुल बन चुका था।
वहां हिंदू लड़कियां हाॅफ पैंट पहने कर
हाॅकी खेला करती थी।
पर, अब मुसलमानों ने उनसे कहा कि फुल पैंट
पहन कर ही खेल सकती हो।
खेल रुक गया है।
बंगाल के गावों में जाकर अब ऐसी रिपोर्टिंग करने की हिम्मत मुख्य धारा की मीडिया को नहीं है।
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यह बात तब की है जब बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्य मंत्री थे।
उनका एक बयान ‘जनसत्ता’ में छपा।
उन्होंने कहा था कि घुसपैठियों के कारण सात जिलों में
सामान्य प्रशासन चलाना मुश्किल हो गया है।
बाद में उन्होंने उस बयान का खुद ही खंडन कर दिया।
पता चला कि पार्टी हाईकमान
के दबाव में उन्होंने कह दिया कि मैंने वैसा कुछ कहा ही नहीं था।
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कई दशक पहले मांगने पर वाम मोरचा सरकार ने केंद्र
सरकार को सूचित किया था कि 40 लाख अवैध बंाग्ला देशी पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं।
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अगले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल और केरल में क्या-क्या होने जा रहा है,इसका पूर्वानुमान लगाने के लिए इन प्रदेशों के भीतरी इलाकों का अध्ययन करना पड़ेगा।
वैसे देश के बाहर से जाकिर नाइक कुछ संकेत देता रहता हैं
देश के भीतर के कतिपय अतिवादी मुस्लिम नेता यहां के टी.वी.चैनलों पर बैठकर बंगाल-केरल के बारे में अपने भावी मंसूबे का इशारों-इशारों में एलान करते रहते हैं।
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26 अप्रैल 22
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