मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

 सांसद आदर्श ग्राम योजना

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सन 2014 में बिहार सहित पूरे देश में सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू की गई थी।

यह एक महत्वाकांक्षी योजना है।

पर, अपवादों को छोड़कर उसमें वांछित सफलता नहीं मिल सकी।

   इस योजना ने एक महत्वपूर्ण बात जगजाहिर कर दी।

वह यह कि केंद्र और राज्य सरकारों ने सरजमीन पर यानी गांव स्तर पर लागू करने के लिए जितनी योजनाएं बनाई हैं,उनमें से अनेक योजनाएं कागजों पर ही ‘कार्यान्वित’ हो रही हैं।

 याद रहे कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए सरकार ने अलग से निधि का आबंटन नहीं किया था।

पहले से जो योजनाएं चल रही हैं,उन्हीें के पैसों से गंावों का विकास करना था।

  ग्राम योजना की विफलता के बाद सरकार को इस बात की जांच करानी चाहिए कि गांवों के लिए जितने पैसे जिस काम के लिए भेजे जाते हैं,उनमें से कितने पैसे वास्तव में उन कामों पर खर्च हो रहे हैं।

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प्रभात खबर

25 अप्रैल 22

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पुनश्चः 

केंद्र और राज्य सरकारों की लगभग 250 छोटी-बड़ी योजनाएं 

चलती रहती हैं।

कई योजनाएं तो नामी-गिरामी हैं।

किंतु कई अन्य योजनाओं के नाम भी लोगों को नहीं मालूम।

यदि सरकारें उन योजनाओं के नाम प्रकाशित करें या अंचल कार्यालयों और पंचायत भवनों के नोटिस बोर्ड पर नाम टंगवा   दंे तो कई जागरूक लोग उसे सरजमीन पर ढूंढ़ने की कोशिश कर सकते हैं।


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