ओमप्रकाश चैटाला की पेंशन राशि 2 लाख 22 हजार
रुपए तो पी.एफ.पेंशनर की राशि मात्र 1231 रुपए मासिक
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ऐसे देश में रहते हैं हम !!!!!
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सुरेंद्र किशोर
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पी.एफ.से जुड़ी मेरी पेंशन राशि सन 2005 में 1046 रुपए रिपीट 1046 रुपए तय की गई थी।
सन 2022 में वह राशि बढ़कर 1231 रुपए रिपीट 1231 रुपए हो गई है।
इस राशि को हासिल करने के लिए पी.एफ.फंड में मेरा भी थोड़ा योगदान रहा,जब मैं रेगुलर सेवा में था।
ध्यान रहे कि यह सब केंद्र सरकार द्वारा संचालित होता है।
हरिवंश जी जब उप सभापति नहीं थे तो उन्होंने राज्य सभा में
इस दयनीय पेंशन राशि की ओर केंद्र सरकार का ध्यान खींचा था।(पर, भला कौन सुनता है पंेशनर्स के बीच के इन ‘दलितों’ की पीड़ा !!)
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अब इससे उलट एक उदाहरण देखिए।
आपातकाल में इंदिरा गांधी की सरकार ने पूर्व सांसदों के लिए पेंशन का प्रावधान किया।
बाद में विधायकों के लिए भी ऐसी व्यवस्था की गई।
तब की सरकार ने अनेक रिटायर संासदों की दयनीय आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया था।
उन दिनों तक अनेक संासद व विधायक ऐसे हुआ करते थे जिन्होंने सेवा भाव से राजनीति में कदम रखा था व निजी खर्चे के लिए (येन केन प्रकारेण धनोपार्जन) पर ध्यान नहीं दिया।
हालांकि कुछ अपवाद तब भी थे।
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पर,उस पेंशन का ताजा हाल जानिए।
हरियाणा से यह खबर आई है कि पूर्व मुख्य मंत्री ओमप्रकाश चैटाला को हर माह 2 लाख 22 हजार रुपए रिपीट 2 लाख 22 हजार रुपए पेंशन मिलती है।
उनसे भी अधिक पेंशन पाते हैं कैप्टन अजय सिंह यादव।उनकी मासिक राशि 2.लाख 38 हजार रुपए है।
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जनता के उन महान नेताओं से भला मेरी तुलना ही क्या है !!!
फिर भी मैं यहां किसी की न्यूनत्तम आवश्यकता की बात तो कर ही सकता हूं।
नब्बे के दशक में जब पी.एफ.से जुड़ी पेंशन की कल्पना केंद्र सरकार ने की तो उसे न्यूनत्तम आवश्यकता का भी ध्यान नहीं रहा।
भारत सरकार ने मनरेगा में न्यूनत्तम मजदूरी कितनी तय कर
रखी है ? !!
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देश में पी.एफ.से जुड़े पेंशनर्स की कुल संख्या 23 लाख है।
श्रमजीवी पत्रकार भी इसमें शामिल हैं।
मैं तो अखबारों व वेबसाइट के लिए लिखकर इतने पैसे अब भी कमा लेता हूं कि उससे मेरा खर्च चल जाता है।
किंतु 23 लाख में से कितने पेंशनर्स हैं जिनका रिटायर होने के बाद अपनी अन्य आय से खर्च आराम से चल पाता है ?
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केंद्र सरकार व राज्य सरकारों पर यह निर्भर है कि वे ओम प्रकाश चैटाला और अजय सिंह यादव जैसों के लिए जितनी राशि मन करे, तय करें।
किंतु समय मिले तो कभी यह भी सोचें कि इस पी.एफ.पेंशनर्स का काम 1231 रुपए मासिक से कैसे चलेगा जिस दिन
उसका शरीर लिखने-पढ़ने के लायक नहीं रहेगा ?
मैंने अपना उदाहरण देकर 23 लाख पेंशनर्स की पीड़ा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है।
अन्यथा, अनेक लोग इसे अविश्वसनीय ही मानते कि किसी को सिर्फ 1231 रुपए भी पेंशन मिलती है।
यह भी कि 17 साल में सिर्फ 185 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है।
यानी, औसतन साल में करीब 10 रुपए की बढ़ोत्तरी !
हालांकि नियमित बढ़ोत्तरी का इसमें कोई प्रावधान ही नहीं है।
ऐसी पेंशन योजना दुनिया में कहीं और भी हो तो मेरा आप जरूर ज्ञानवर्धन करें।
(पूर्व सांसदों और अन्य राज्यों के पूर्व विधायकों की पेंशन राशि का कोई सटीक आंकड़ा मेरे पास नहीं है।इसीलिए नमूने के तौर पर हरियाणा का दे दिया।यह आज के ‘द हिन्दू’ में छपा है।)
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12 अपैल 22
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