डा.लोहिया भी समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे
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सुरेंद्र किशोर
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डा.राम मनोहर लोहिया समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे।
इसलिए भी कि भारत के संविधान के नीति निदेशक तत्व वाले अध्याय में लिखा हुआ है कि
‘‘राज्य, भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता, यानी यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने का प्रयास करेगा।’’
गृह मंत्री अमित शाह ने कल भोपाल में जो कुछ कहा , वह न सिर्फ संविधान सम्मत है,बल्कि डा.लोहिया के विचार के अनुकूल भी है।
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डा.लोहिया सन 1967 में उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लोक सभा चुनाव लड़ रहे थे।
किसी पत्रकार ने पूछ दिया, ‘‘आप सामान्य नागरिक संहिता के पक्ष में हैं ?
लोहिया ने कहा कि ‘‘हां, मैं पक्ष में हूं।’’
दूसरे दिन अखबार में प्रमुखता से लोहिया की यह टिप्पणी छप गई।
उसपर डा.लोहिया के एक प्रमुख साथी ने उनसे कहा कि ‘‘डाक्टर साहब,यह आपने क्या कह दिया ?
कन्नौज में मुसलमान वोटर की अच्छी-खासी आबादी है।अब तो आप चुनाव नहीं जीतिएगा।’’
उस पर डा.लोहिया ने जवाब दिया,‘‘मैं सिर्फ चुनाव जीतने के लिए राजनीति नहीं करता।देश बनाने के लिए राजनीति करता हूं।’’
इस बयान के कारण डा.लोहिया करीब 400 मतों से विजयी हुए जबकि उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस विरोधी हवा थी।
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यानी, आज भी इस देश में दो तरह के नेता व दल हैं।
एक चुनाव जीतने वाले और दूसरे देश बनाने वाले।
देखना है कि आने वाले वर्षों में कौन विजयी होता है।
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