क्या ढीली-ढाली लोकतांंित्रक व्यवस्था में भ्रष्टाचार-आतंकवाद का इलाज संभव नहीं ?।।
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सुरेंद्र किशोर
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कर्नाटका में सरकारी ठेकेदार अफसरों -नेताआंेें को देते हंै 40 प्रतिशत कमीशन यानी रिश्वत।
देते क्या हैं,देने पड़ते हैं।
वहां के ठेकेदार संघ ने इस संबंध में प्रधान मंत्री को पत्र लिखा है।(द हिन्दू-31 मार्च 22)
लेने वालों में बड़ी हस्तियां भी हैं।
चूंकि बिहार के ठेकेदार संघ ने संभवतः वैसा कोई पत्र कहीं नहीं भेजा है, इसलिए यहां की दर मैं नहीं बता सकता।
हां, बिहार के अधिकतर जन प्रतिनिधियों के क्षेत्रीय फंड में कमीशन की रेट लगभग उतनी ही बताई जाती है।
पता नहीं सच क्या है !
बाकी जानकार लोग बताएंगे।
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इस देश में यह सब क्या हो रहा है जबकि हमारा प्रधान मंत्री ईमानदार है !
क्या सर्वव्यापी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अंततः किसी खूंखार तानाशाह की ही जरूरत पड़ेगी ?
कई निराश लोग तो कहते हैं कि भारत जैसे एक ढीले-ढाले लोकतंत्र में न तो भ्रष्टाचार का कारगर इलाज संभव है और न ही आतंकवाद का।
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31 मार्च 22
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