ताजा संदर्भ--भारत के भूभाग पर चीन का दावा
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सन 1962 के युद्ध में भारत की पराजय के तत्काल बाद लिखी गयी राष्ट्रकवि दिनकर की एक कविता याद आ गयी।
वे लोग यह जरूर पढ़ें जो चंद्रायण-3 तक का श्रेय जवाहरलाल नेहरू को भी दे रहे हैं।
वही लोग चीन के हाथों भारत की पराजय का दोषी सिर्फ तब के रक्षा मंत्री वी.केे.कृष्ण मेनन को मानते हैैं।
डा.राममनेाहर लोहिया ने कहा था कि दुनिया की कौन सी कौम है जो अपने सबसे बडे़ देवता यानी महा देव शिव को दूसरे देश में स्थापित करती है ?
उनका आशय कैलास मान सरोवर से था।
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रामधारी सिंह दिनकर ने कभी नेहरू को ‘‘लोक देव नेहरू’’ लिखा था। पर,जब उन्होंने उनकी नाकामयाबी देखी तो निम्न लिखित कविता लिख दी।
तब वे राज्य सभा के सदस्य थे।
इस कविता के बाद उनकी राज्य सभा की सदस्यता का नवीनीकरण नहीं हुआ।
वे भी जानते थे कि इसके बाद नहीं होगा।
दरअसल तब वैसे लोग हमारे बीच कुछ अधिक ही थे जो देश के लिए पद को कुर्बान कर देने के लिए तैयार रहते थे।
पर,आज तो हमारे बीच वैसे लोगों की भरमार है जो पद के लिए राष्ट्र को भी अपूरणीय क्षति पहुंचाने के लिए काम करते रहते हैं।
पता नहीं,इस देश को क्या होगा ?
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परशुराम की प्रतीक्षा से
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घातक है जो देवता सदृश दिखता है,
लेकिन,कमरे में गलत हुक्म लिखता है,
जिस पापी को गुण नहीं,गोत्र प्यारा है,
समझो,उसने ही हमें यहां मारा है।
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जो सत्य जानकार भी न सत्य कहता है,
जो किसी लोभ के विवश मूक रहता है,
उस कुटिल राजतंत्री कदर्य को धिक् है,
यह मूक सत्यहन्ता कम नहीं,वधिक है।
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चोरों के जो हेतु ठगों के बल हैं,
जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं,
जो छल-प्रपंच ,सबको प्रश्रय देते हैं,
या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं,
यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,
भारत अपने घर में ही हार गया है।
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कह दो प्रपंचकारी,कपटी ,जाली से,
आलसी ,अकर्मण्य ,काहिल,हड़ताली से,
सीले जुबान ,चुपचाप काम पर जाये
हम यहां रक्त वे घर में स्वेद बहाये
जो कहो पुण्य यदि बढ़ा नहीं शासन में
या आगे सुलगती रही प्रजा के मन में
तमस यदि बढ़ता गया ढकेल प्रभा को
निर्बंध पन्थ यदि मिला नहीं प्रतिभा को
रिपु नहीं,यही अन्याय हमें मारेगा
अपने घर में ही फिर स्वदेश हारेगा।
---रामधारी सिंह दिनकर
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चीनी हमले के समय के हालात और तब के शीर्ष
शासन की विफलता, अदूरदर्शिता,अक्षता,
अव्यावहारिकता पर अब दो शब्द।
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देश के प्रमुख पत्रकार मन मोहन शर्मा के अनुसार,
‘‘एक युद्ध संवाददाता के रूप में मैंने चीन के हमले को कवर किया था।
मुझे याद है कि हम युद्ध के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे।
हमारी सेना के पास अस्त्र,शस्त्र की बात छोड़िये,कपड़े तक नहीं थे।
नेहरू जी ने कभी सोचा ही नहीं था कि
चीन हम पर हमला करेगा।
एक दुखद घटना का उल्लेख करूंगा।
अंबाला से 200 सैनिकों को एयर लिफ्ट किया गया था।
उन्होंने सूती कमीजें और निकरें पहन रखी थीं।
उन्हें बोमडीला में एयर ड्राप कर दिया गया
जहां का तापमान माइनस 40 डिग्री था।
वहां पर उन्हें गिराए जाते ही ठंड से सभी बेमौत मर गए।
युद्ध चल रहा था,मगर हमारा जनरल कौल मैदान छोड़कर दिल्ली आ गया था।
ये नेहरू जी के रिश्तेदार थे।
इसलिए उन्हें बख्श दिया गया।
हेन्डरसन जांच रपट आज तक संसद में पेश करने की किसी सरकार में हिम्मत नहीं हुई।’’
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नोट-अपनी इस रपट की पुष्टि करने के लिए शर्मा जी अब भी हम लोगों के बीच मौजूद हैं।
हाल तक फेसबुक पर सक्रिय थे।
चीनी हमले से ठीक पहले सेना ने केंद्र सरकार से जरूरी खर्चे के लिए एक करोड़ रुपए की मांग की थी।
पर,केंद्र सरकार ने नहीं दिया।
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सुरेंद्र किशोर
30 अगस्त 23