भिखारी ठाकुर पर किरण कांत वर्मा की पुस्तक पठनीय
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सुरेंद्र किशोर
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कवित्त,रंगमंच और सिनेमा से जुड़े किरण कांत वर्मा ने भिखारी ठाकुर की रचनाओं पर एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम है--
‘‘कहत भिखारी ठाकुर: पिया गईले कलकतवा।’’
पुस्तक लीक से हट कर लगी,पठनीय भी।
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किरण कांत जी की पुस्तक का इसी माह लोकार्पण हुआ।
मुख्यतः सामाजिक समस्याओं को आधार बना कर लेखन करने वाले भिखारी ठाकुर को राहुल सांकृत्यायन ने ‘‘भोजपुरी का शेेक्सपीयर’’ कहा था।
आई.सी.एस.अधिकारी जगदीशचंद्र माथुर ने भिखारी ठाकुर को ‘‘अनगढ़ हीरा’’ कहा था।
आमलोगों में भिखारी ठाकुर कितना लोकप्रिय थे,उसका विवरण एक ंसंस्मरण के जरिए यहां प्रस्तुत है।
यह संस्मरण मुझे रामदयाल सिंह ने सुनाया था।
रामदयाल सिंह प्रतिबद्ध समाजवादी नेता थे ।
सन 1977 में भोजपुर जिले के संदेश क्षेत्र से जनता पार्टी के विधायक भी बने थे।
वे एक दफा राम दयाल बाबू कर्पूरी ठाकुर के साथ उत्तर बिहार से पटना लौट रहे थे।
पहलेजा घाट (सारण जिला)पहुंचने पर उन लोगों को पता चला कि रात का अंतिम स्टीमर जा चुका है।(तब तक गांधी सेतु बना नहीं था।)
रात में पहलेजा घाट पर पुआल पर दोनों सो गए।
जाड़े की रात थी।
सुबह उठकर कर्पूरी जी शौच के लिए दूर खेत में चले गए।
इस बीच ‘घूरा’ यानी आग के पास कुछ ग्रामीणों से राम दयाल बाबू बातंे करने लगे।
कर्पूरी जी के प्रति रामदयाल जी के श्रद्धा भाव को देखकर एक ग्रामीण को लगा कि यह जरूर कोई बड़े आदमी हैं।
ग्रामीण- ‘‘इ के बाड़न ?’’
राम दयाल जी-‘‘कर्पूरी ठाकुर हैं।’’
ग्रामीण - ‘‘कहां के हैं और कौन जात हैं ?’’
राम दयाल बाबू-‘‘बिहार के मुख्य मंत्री रह चुके हैं।
हज्जाम में इतना बड़ा व्यक्ति कोई और नहीं हुआ ?’’
ग्रामीण-‘‘भिखारियो ठाकुर से बड़का आदमी़ बाड़न ! ?’’
अब इस पर राम दयाल बाबू क्या बोलते !
वैसे भी तब तक कर्पूरी जी पास आते दिखाई पड़ गए थे।
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‘कहत भिखारी ठाकुर -पिया गईले कलकतवा’
लेखक-किरण कांत वर्मा
मो.-9934604362
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29 अगस्त 23
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