आइडिया आॅफ इंडिया !
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सीमा पर बाड़ लगाने से कभी इस
देश की छवि खराब होती थी !
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--सुरेंद्र किशोर--
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आजादी के बाद के हमारे हुक्मरानों ने
ही इस देश को ‘धर्मशाला’ बनाना शुरू कर दिया था।
अब बी.एस.एफ. के सशक्तीकरण का विरोध हो रहा है।
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जिस देश के कुछ राजनीतिक दलों के लिए घुसपैठिए ‘वोट बैंक’ हों वहां वही होगा जो आज हो रहा है।
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कई साल पहले की बात है।
एक निजी टी.वी.चैनल पर मैं डिबेट
सुन रहा था।
बांग्ला देशी घुसपैठियों पर चर्चा थी।
एक तरफ सन 1958 बैच के भारतीय विदेश सेवा के एक अफसर थे।
दूसरी ओर, शिव सेना के राज्य सभा सदस्य थे।
उस अफसर ने कहा कि
‘‘यदि हम सीमा पर बाड़ लगाएंगे तो दुनिया में हमारे देश की छवि खराब होगी।’’
उस पर शिवसेना नेता ने उनसे सवाल किया,
‘‘आप भारत के विदेश सचिव थे या बांग्ला देश के ?
बेचारे अफसर साहब कोई जवाब नहीं दे सके।
वे बेचारे आखिर क्या बोलते ?
वैसे भी वे व्यवहार में शालीन व्यक्ति हैं।
आजादी के तत्काल बाद के हमारे हुक्मरानों ने उन जैसे अफसरों को यही निदेश दे रखा होगा।यही आदेश कि वे बाड़ लगाने का विरोध करें।
यही तो था ‘‘आइडिया आॅफ इंडिया का एक नमूना ।’’
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अगस्त 23
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