आज के प्रभात खबर में प्रकाशित
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यदाकदा
सुरेंद्र किशोर
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फील्ड से रिटायर अफसर बता सकते हैं अपराध रोकने के उपाय
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बिहार के डी.जी.पी.,आर.एस.भट्टी ने हाल में एक प्रमंडलीय मुख्यालय में थानेदारों से साफ-साफ पूछा कि ‘अपराध नियंत्रण में आखिर दिक्कत क्या है ?’
ठीक ही किया कि पूछ लिया।
वहां इस समस्या पर कैसी चर्चा हुई ?
पुलिस प्रमुख ने उन्हें क्या सलाह दी ,यह तो नहीं मालूम।
पर,इस गंभीर समस्या के सिलसिले में अनुभवी लोगों की एक राय है।
वह यह कि इस सवाल का बेहतर जवाब हाल में फील्ड से सेवा निवृत पुलिस अफसरों से भट्टी साहब को मिलेगा।
इसलिए फील्ड के काम से हाल में रिटायर पुलिस अफसरों से भी यदि डी.जी.पी.कारण पूछें तो उन्हें वास्तविक दिक्कतों ,उपयोगी जानकारियां और बेहतर सलाह मिल सकती हैं।पर,उनसे उन्हें अलग -अलग अकेले में बातें
करनी होगी।
सेवारत अफसरों के सामने कुछ कठिनाइयां होती हैं।वे खुलकर सब कुछ नहीं बता पाते।
उनके अपने निहितस्वार्थ भी हो सकते हैं और कुछ मजबूरियां भीं।
याद रहे कि हाल में मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने अपने दल के मौजूदा सांसदों के अलावा अलग से पूर्व सांसदों को भी बुला कर बारी -बारी से उनसे बातचीत की ।
चीजों को देखने के नजरिए में थोड़ा फर्क आ जाता है जब व्यक्ति सेवा निवृत हो जाता है।
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रुचि के अनुकूल पढ़ाई
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जिस छात्र को जो विषय पढ़ने में रुचि हो,उसी को पढ़कर वह जीवन में अच्छा कर सकेगा।
इसके विपरीत कुछ अभिभावकगण अपनी संतान को जबरन डाक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते हैं चाहे उसकी रुचि वैसी पढ़ाई करने में हो या नहीं।
छात्रों को दूर के शहरों के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने के लिए भेज दिया जाता है।
मेडिकल-इंजीनियरिंग विषयों में गहरी रुचि रखने वाले छात्र तो लक्ष्य पाने में सफल हो जाते हैं।किंतु जिनकी रुचि नहीं होती है ,वे वहां पढ़ाई के भारी दबाव को कई बार सहन नहीं कर पाते।
उनमें से कुछ विद्यार्थी आत्म हत्या भी कर लेते हैं।इधर ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं।
राजस्थान के कोटा से हाल में यह खबर आई कि इस साल वहां अब तक 18 विद्यार्थी आत्म हत्या कर चुके हैं।
ऐसी आत्म हत्याएं रोकने में अभिभावकों की बड़ी भूमिका हो सकती है।
कोचिंग मंें भेजने से पहले वे अपनी संतान की रुचि की सही पहचान अच्छी तरह कर लें।अपना विचार उस पर न थोपंे।
डाक्टर या इंजीनियर बनना ही सब कुछ नहीं है।
जान है तो जहांन है !
अन्य अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहां आपकी संतान बेहतर कर सकती है।
इसलिए जिन विद्यार्थियों की गहरी रुचि डाक्टर-इंजीनियर बनने में है और जिन्हें आत्म विश्वास है कि वे कठिन पढ़ाई के दबाव का भी सामना कर पाएंगे,उन्हें ही वैसी पढ़ाई करने के लिए उनके अभिभावक बाहर भेजें।
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परीक्षा में कदाचार रुके
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झारखंड विधान सभा ने हाल में झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक, 2023 पारित किया है।उसे राज्यपाल के यंहां मंजूरी के लिए भेज दिया गया है।
इस में यह प्रावधान किया गया है कि परीक्षा में कदाचार करते पाए जाने पर एक से तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है।
साथ ही,एक से तीन लाख रुपए तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
झारखंड शासन का यह कदम सराहनीय है।परीक्षा में कदाचार ने लगभग पूरे देश में महामारी का रुप धारण कर लिया है।
इससे पीढ़ियों के साथ लगातार अन्याय हो रहा है।
क्योंकि पैसे वाले और प्रभावशाली परिवारों के लोगों को तो कदाचार करने की अधिक सुविधा मिल जाती है।अधिकतर मामलों मंे गरीब घरों के उम्मीदवारों की प्रतिभा का हनन हो जाता है।
उत्तराखंड सरकार ने तो इसी साल वहां की विधान सभा से ऐसा कानून पास करवाया है जिसके तहत अत्यंत कड़ी सजा का प्रावधान है।
वहां परीक्षा में कदाचार के खिलाफ उम्र कैद की सजा और 10 करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
वह राज्य सरकार अपनी प्रतिभाओं के साथ अन्याय नहीं होने देना चाहती है। उस सरकार को इस बात की भी परवाह नहीं है कि कदाचारियों को सजा दिलवाने से उसके वोटर उनसे बिदक जाएंगे।
पर,इधर झारखंड से यह खबर आ रही है कि वहां कुछ राजनीतिक नेता गण झारखंड सरकार के नये विधेयक का विरोध कर रहे हैं।विरोध ठीक नहीं।
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और अंत में
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उदयकांत लिखित मुख्य मंत्री नीतीश कुमार की जीवनी में उनकी एक महत्वपूर्ण बात चतुर्भुज ज्योमेट्री के जरिए समझाई गयी है।
वह भी एक संवाद की शैली में।
वह बात यूं है-‘देखो ,चतुर्भुज की सबसे नीचे वाली लेटी लाइन होती है न,उसे बेस या आधार कहते हैं।
इसे तुम नीतीश के बाबूजी समझ लो।
वही नीतीश के जीवन के आधार हैं।
अब दूसरी ,सबसे ऊपर वाली ,लेटी हुई लाइन देखो।
यह हैं हमारे बापू यानी महात्मा गांधी।
नीतीश की दुनिया में ही क्यों,पूरे मुल्क में इनसे ऊपर कुछ भी नहीं,कोई भी नहीं।
अब बची चतुर्भुज की दो खड़ी लाइनें जो एक दूसरे से दूर खड़ी हैं।
ये हैं लोहिया और जेपी।
इन दोनों को ऊपर से गांधी जी ने जोड़ रखा है।
अब एक ऐसा गोला बनाओ जो इन चारों लाइनों को अंन्दर से छुए।
यही सर्किल है अपना नीतीश।
उसमें चारों के गुण हैं।’
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8 अगस्त 23
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