नूह से घुसपैठियों की 200 झोपड़ियों को उजाड़ा गया।
बांग्लादेशियों-रोहिग्याओं की अबाध घुसपैठ जारी रही
तो हर प्रदेश में ऐसी पुलिसिया कार्रवाई करनी पड़ेगी
यह इस देश पर भीषण हमला है जिसमें
वोट लोलुप नेतागण ‘बाहरी -भीतरी दुश्मनों के मददगार हैं
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सुरेंद्र किशोर
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हरियाणा के नूह से अवैध घुसपैठियों की करीब दो सौ झोपड़ियों को शासन ने विरोध के बीच कुछ घंटे पहले उजाड़ दिया।
हाल के साम्प्रदायिक उत्पातों में इन घुसपैठियों का बड़ा हाथ था।
घुसपैठ की यह समस्या सिर्फ हरियाणा व दिल्ली में ही नहीं है,,बल्कि पूरे देश में है।
बढ़ती जा रही है।
जिस तरह के साम्प्रदायिक उपद्रव हाल में हरियाणा में हुए,उसी तरह के उत्पातों की झड़ी लग जाएगी,यदि केंद्र सरकार जल्द कड़ी कार्रवाई नहीं करेगी।
सन 2021 में ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीमाओं की किलेबंदी अगले साल तक हो जाएगी।
पर,कई कारणों से यह काम अधूरा है।
सर्वाधिक घुसपैठ पश्चिम बंगाल की सीमा से हो रही है और उस काम में ममता बनर्जी की सरकार सहायक है।
सीमा पर तैनात केंद्रीय सुरक्षा बल भी क्यों लगभग विफल साबित हो रहा है,इसकी जांच केंद्र सरकार कराए।
कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि सीमा पर बाड़ लगाने के लिए ममता सरकार जमीन अधिग्रहण नहीं कर रही है।
क्या पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए यह कारण पर्याप्त नहीं माना जाना चाहिए, यदि सचमुच भूमि अधिग्रहण में सहयोग नहीं दे रही है ?
वैसे कारण और भी हैं।
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14 जुलाई, 2004 को तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने संसद को बताया था कि पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों की संख्या 57 लाख है।
आज तो यह संख्या बहुत बढ़ चुकी है।
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दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने 4 अगस्त, 2005 को लोक सभा में यह आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार ने 40 लाख बांग्ला देशी मुस्लिम घुसपैठियों को अवैध ढंग से पश्चिम बंगाल में मतदाता बना दिया है।
ममता ने सदन में इस पर तुरंत चर्चा की मांग की।
जब उसकी इजाजत नहीं मिली तो ममता ने लोक सभा की सदस्यता से सदन में ही इस्तीफा दे देने की घोषणा कर दी।
उससे पहले इस समस्या पर ममता सदन में ही रो पड़ी थीं।
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पर, जब ममता बनर्जी मुख्य मंत्री बनीं और वही अवैध घुसपैठी मतदातागण ममता के दल को वोट देने लगे तो वह उनके पक्ष में चट्टान की तरह खड़ी हो गईं हैं।नोबल विजेता अमत्र्य सेन ममता बनर्जी को प्रधान मंत्री बनते देखना चाहते हैं।यदि बन गयीं तो इस देश का क्या होगा ?
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि यदि घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई होगी तो खून की नदियां बहेंगीं।
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लगातार जारी घुसपैठ के कारण आजादी के बाद
पूर्वी पाक-बांग्ला देश से सटे भारतीय इलाकों के कई जिलों
की आबादी का सामाजिक अनुपात पूरी तरह बदल चुका है।
बदलता जा रहा है।
उन राज्यों में आंतरिक-बाह्य सुरक्षा की भारी समस्या भी उत्पन्न हो चुकी है।गंभीर होती जा रही है।बिहार-झारखंड में भी समस्या बढ़ रही है।
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इस समस्या की जड़ में आजादी के तत्काल बाद की केंद्र सरकार का अदूरदर्शी रवैया रहा है।
कुछ दशक पहले की बात है।
एक निजी टी.वी.चैनल पर घुसपैठ की समस्या पर चर्चा चल रही थी।
इस देश के विदेश सचिव पद पर रहे एक रिटायर आई.एफ.एस.अफसर ने कहा कि
‘‘यदि हम बांग्ला देश सीमा पर बाड़ लगाएंगे तो दुनिया में भारत की छवि खराब होगी।’’
(मैं भी वह डिबेट सुन रहा था।)
इस पर शिव सेना के एक राज्य सभा सदस्य ने उस पूर्व सचिव से पूछा कि
‘‘आप भारत के विदेश सचिव थे या
बांग्ला देश के ?’’
वे चुप रह गए।
बेचारे उस शालीन पूर्व विदेश सचिव का भला क्या कसूर ?
नेहरू युग में विदेश सेवा में आए थे।
वे जवाहरलाल नेहरू के ‘‘आइडिया आॅफ इंडिया’’ नीति के तहत ही तो बोल रहे थे।
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5 अगस्त 23
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