2024 का लोक सभा चुनाव
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बेशुमार काले धन के इस्तेमाल की आशंका
--सुरेंद्र किशोर--
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अगले लोक सभा चुनाव (सन 2024) में काले धन का जितना अधिक इस्तेमाल होगा,उतना अब तक कभी नहीं हुआ था।
क्यांेकि उस चुनाव के नतीजे ऐतिहासिक और युगांतरकारी होंगे।
उन नतीजों पर न सिर्फ इस देश का भविष्य निर्भर करेगा बल्कि कई बड़े नेताओं व राजनीतिक-गैर राजनीतिक संगठनों के भविष्य का भी फैसला हो जाएगा।
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सन 1972 में बिहार में एक लोक सभा क्षेत्र में उप चुनाव हुआ था।
उसमें एक उम्मीदवार ने रिकाॅर्ड खर्च (करीब 32 लाख रुपए)किया था।
उसके बाद तो चुनावी खर्च बढ़ते चले गये।
1990 के नंदियाल लोक सभा उप चुनाव के लिए तो सिर्फ एक शेयर दलाल ने एक नेता जी को एक करोड़ रुपए दिए थे।
चुनाव खर्चे में बढ़ोत्तरी के साथ साथ
उसी अनुपात में अधिकतर नेताओं की संपत्ति भी बढ़ती जा रही है।
संपत्तिवानों को बुला-बुला कर चुनावी टिकट दिए जाने लगे हैं।
जेनुइन राजनीतिक कार्यर्ताओं की पूछ घट गयी है।
क्योंकि अधिकतर मामलों में एम.पी.-विधायक फंड के ठेकेदार ही कार्यकर्ता की भूमिका भी निभाने लगे हैं।अनेक नेताओं ने भी देखा कि यदि हम वास्तविक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को बढ़ावा देंगे तो वे टिकट के उम्मीदवार बन जाएंगे।
जबकि, हमें टिकट तो अपने परिवार में ही बनाए रखना है।
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हाल के वर्षों में राजनीति में पैसे की भूमिका बहुत बढ़ गयी है।
अब तो कई राजनीतिक दल खुलेआम टिकट बेच रहे हैं।
हाल के कर्नाटका विधान सभा चुनाव में करीब 400 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक को,जो उम्मीदवार भी थे, प्रत्येक मतदाता को दो-दो हजार रुपए के नोट थमाते टी.वी.चैनलों पर देखा गया था।वे जीत भी गये।
उस नेता का कुछ नहीं बिगड़ा।
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अगले लोस चुनाव में देसी से अधिक विदेशी पैसे लगंेगे,ऐसे संकेत हैं ।
मीडिया में भारी विदेशी पैसे के ‘आयात’ की खबर आ ही रही है।
वैसे भी इस देश के सैकड़ों नेतागण अरबपति हो चुके हैं।
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अब देखना है कि सरकारें, चुनाव आयोग या अन्य एजेंसियां चुनाव में पानी की तरह पैसे बहाने की प्रवृति व जिद पर कब तक रोक लगा पाती है।
वैसे तो उम्मीद की कोई रोशनी नजर नहीं आ रही।
जो सिस्टम , संसद व विधान सभाओं के अनवरत हंगामे को नहीं रोक सकता,वह इस तरह के और काम भी नहीं ही कर सकता।
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सुरेंद्र किशोर
11 अगस्त 23
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