सोमवार, 14 अगस्त 2023

  रणदीप सुरजेवाला के ताजा बोल इंदिरा 

 गांधी की इमरजेंसी मानसिकता का ही विस्तार

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सुरेंद्र किशोर

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आज करोड़ों लोगों को राक्षसी प्रवृति वाला बताने

और आपातकाल में लाख से अधिक लोगों को जेलों 

में बंद कर देने में कितना फर्क है ?

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तब की प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने तब के अपने राजनीतिक विरोधियों को विघटनकारी कहा था।

सुरजेवाला राक्षसी प्रवृति वाला बता रहे हैं।

राक्षसी प्रवृति वाले अधिक सजा के हकदार है या विघटनकारी ? 

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5 सितंबर, 1918 को रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि ‘‘कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसके खून में ब्राह्मण समाज का डी.एन.ए.है।’’

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चूंकि खुद सुरजेवाला ब्राह्मण समाज से आते हें,इसलिए वे समझते हैं कि उन्हें श्राप या वरदान देने का पूरा अधिकार है। 

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14 अगस्त, 23 को उसी कुरुक्षेत्र की धरती से रणदीप सुरजेवाला ने जन सभा में उन लोगों को श्राप दिया जो भाजपा के समर्थक हैं या मतदाता हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा के समर्थक और मतदाता राक्षसी प्रवृति के हैं।

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ब्राह्मण डी.एन.ए.वाले बयान पर कांग्रेस हाईकमान ने सुरजेवाला के खिलाफ कुछ नहीं कहा।

दरअसल सुरजेवाला हाईकमान के बहुत करीबी हैं।माना जाता है कि वे हाईकमान की इच्छा को ही अभिव्यक्त करते रहते हैं।

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अभी तो सुरजेवाला का दल केंद्र की सत्ता में नहीं हैं।

जिस दिन उनकी पार्टी कांग्रेस, केंद्र में सत्ता में आ जाएगी तो राक्षसी प्रवृति वाले लोगों को वह क्या दंड देगी ?

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1975-77 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने क्या दंड दिया था ?

एक लाख से अधिक लोगों को अदालती सुनवाई की सुविधा से वंचित करके जेलों में डाल दिया था।

 पूरे देश को एक बड़े जेलखाने में परिवर्तित कर दिया था।

25 जून 1975 को इमर्जेंसी की घोषणा के साथ इंदिरा गांधी ने यह भी कहा था कि देश में ‘‘विधटनकारी तत्व पूर्ण रूप से सक्रिय हैं।साम्प्रदायिक भावनाएं उभारी जा रही है।’’

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उसी इमरजेंसी वाली प्रवृति से प्रेरित होकर सुरजेवाला ने आज कहा है कि भाजपा के वोटर और समर्थक राक्षसी प्रवृति के हंै।

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भाजपा के वोटरों और समर्थकों की संख्या करोड़ों में है।क्या इतने अधिक लोग आज राक्षसी प्रवृति के हैं ?

प्राचीन ग्रंथों के राक्षस जो -जो काम करते थे ,क्या वही सब काम आज भाजपा के करोड़ों वोटर और समर्थक कर रहे हैं ?

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इंदिरा गांधी ने 1975 में जिन्हें विघटनकारी कहा था ,उनकी संख्या कितनी थी जो पुलिस-सेना आदि के कंट्रेाल में नहीं आ सकते थे ?

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दरअसल दोनों अवसरों पर मूल कारण दूसरे रहे।

  बहाना कुछ और बनाया गया।

1975 में इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का जो जजमेंट आया था ,उससे पार पाने के लिए इमरजेंसी लगाना उनके लिए जरूरी हो गया था।

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आज सोनिया-राहुल-राबर्ट वाड्रा के खिलाफ जो गंभीर मुकदमे चल रहे हैं,उनसे निजात पाना सामान्य दिनों में असंभव काम है।

क्योंकि कोर्ट एक हद से अधिक इस परिवार की मदद नहीं कर सकता है।

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क्या सुरजेवाला को यह लगता है कि उनका ‘इंडिया’ गठबंधन 2024 के लोकसभा के चुनाव में जीत कर केंद्र की सत्ता में आ जाएगा ?

क्या भावी कांग्रेस नीत सरकार इमरजेंसी जैसा कोई काम करेगी जो काम इंदिरा गांधी ने 1975 में किया था ?

इंमरजंेसी लगाने से कई महीने पहले इंदिरा गांधी ने जेपी पर ऐसा आरोप लगाया था जिस तरह का आरोप उस संत के खिलाफ उससे पहले या बाद में किसी ने नहीं लगाया था।

यानी, इंदिरा जी का उद्देश्य था कि जेपी और उनके समर्थकों को पहले बदनाम कर दिया जाए और बाद में इमरजेंसी लगा दी जाए।

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क्या सुरजेवाला भाजपा समर्थकों को राक्षस कह कर उसी उद्देश्य से पहले से ही उन्हें बदनाम कर रहे हैं ?

इंदिरा गांधी के शब्द विधटनकारी से अधिक कड़ा शब्द राक्षसी प्रवृति है।

इंदिरा गाधी के खिलाफ 1975 वाला जजमेंट जितना नुकसानदेह था,उससे अधिक नुकसान देह उन मुकदमों के फाइनल नतीजे होंगे जो सोनिया-राहुल-वाड्रा पर चल रहे हैं।

इसलिए शब्द भी उसी अनुपात में अधिक कटु हंै।

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14 अगस्त 23

  

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