नीतीश कुमार के अंध विरोधी गण !
इस पोस्ट के
लिए कृपया मुझे माफ कर दीजिएगा
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सुरेंद्र किशोर
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यदि नरेंद्र मोदी विरोधी गठबंधन नीतीश कुमार को राष्ट्रीय संयोजक बना दे तो एनडीए के खिलाफ ‘‘इंडिया’’ के चुनावी अभियान में गंभीरता आ जाएगी।
(अन्यथा,‘‘इंडिया’’सी.बी.आई.-ई.डी.झेल रहे नेताओं का गठजोड़ मात्र बन कर रह जाएगा जिसके भावी नेता जनता में राहुल गांधी माने जा सकते हैं।
वह भाजपा के लिए अत्यंत अनुकूल स्थिति होगी।)
कम से कम तीन मामलांे में नीतीश कुमार ,नरेंद्र मोदी की बराबरी करने की स्थिति में हैं।
वे हैं रुपए-पैसों के मामलों में व्यक्तिगत ईमानदारी, परिवारवाद-वंशवाद से दूरी तथा आम विकास को लेकर कल्पनाशीलता।
नीतीश कुमार के अलावा ‘‘इंडिया’’ का कोई भी अन्य नेता,जो पी.एम.पद का घोषित या अघोषित उम्मीदवार है, अपने विवादास्पद कैरियर के कारण, नरेंद्र मोदी के मुकाबले हल्का ही साबित होगा।चुनाव में गंभीरता आ जाने पर वोट बैंक के बाहर वाले मतदाताओं को निर्णय करने में सुविधा हो जाती है।
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नीतीश कुमार के बावजूद ‘‘इंडिया’’ सन 2024 के लोस चुनाव में विजयी ही हो जाएगा,यह भविष्यवाणी करने की स्थिति अभी नहीं है।
वैसे तमाम चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के अनुसार तो , कुल मिलाकर अभी नरेंद्र मोदी का ही ‘अपर हैंड’ लगता है।
आजकल चुनाव पूर्व सर्वेक्षण पहले की अपेक्षा अधिक सही साबित हो रहे हैं।जिन्हें मेरी इस बात में शक हो ,वे हाल के वर्षों के सर्वेक्षणों के आंकड़े निकाल कर देख लें।
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बिहार में 2024 के चुनाव में क्या होगा ?
यदि सिर्फ ‘गणित’ काम करेगा तब तो यहां ‘‘इंडिया’’ का पलड़ा भारी रहेगा।
पर,साथ-साथ यदि ‘रसायन’ भी काम कर गया तब तो कुछ भी रिजल्ट संभव है।
फिलहाल दो संकेतक, हम विश्लेषणकर्ताओं को राह दिखाते हैं।
हाल में बिहार के गोपालगंज और कुढ़हनी विधान सभा उप चुनावों में भाजपा जीत गयी।
मोकामा में हार गयी ।पर,वह तो बिहार का एक विशेष क्षेत्र है।वहां कोई सामान्य फार्मूला लागू नहीं होता।
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गत साल उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ और रामपुर में लोक सभा उप चुनाव हुए।
दोनों सपा की सीटंे थीं।
दोनों में इस बार एनडीए जीत गया।
सुना कि वहां ‘रसायन’ काम कर गया।
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वैसे अभी सन 2024 के चुनाव में महीनों की देर है।
अभी का कोई भी पूर्वानुमान अंततः अधकचरा साबित हो सकता है।
क्योंकि पता नहीं, कल देश-प्रदेश में क्या होगा ?
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27 अगस्त 23
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